Saturday, 20 January 2018

मासिक धर्म,,,,पर छगन चहेता कि अपनी बेहतरीन कृति, ,,

मेरी अब तक की सर्वश्रेष्ठ कृति, ,,,,,नारी के रज्जोधर्म / माहवारी / मासिक धर्म पर।।।।।
   
           रज्जोधर्म / महावारी / रज्जोधर्म 
          (कविता )
                                                ~छगन चहेता 
हमने ज्ञान विज्ञान की खोजों से ,
हर एक अंधविश्वास से पर्दा उठा दिया ।
 फिर भी क्यों क्यों ?
क्यों नहीं ,
 नारी की माहवारी से नापाक का धब्बा मिट पाया?
 क्यों संतान उत्पन्न करने  वाले ,
नारी के रज्ज को ही अपवित्र बोल दिया ।
महावारी के चक्र में ,
 महिला को भगवान के दर पर जाने से रोक दिया ।
 क्यों क्यों क्यों ?
 क्यों, जिस अंग विशेष के तत्वों से ,
 हमारे अस्तित्व का निर्माण हुआ ।
उस तत्व को हमने नापाक करार दिया ।
 नीति धर्म की बातों को ,
 हमने भी पढ़ा ,
 गीता कुरान से ,
 धर्म ग्रंथों से ; हम भी वाकिफ है ।
 पर शायद कहीं नहीं था ।
माहवारी पर अपवित्रता का ठप्पा ।
 फिर क्यों क्यों ?
चंद तुच्छ लोगों की तुच्छ सोच को ,
 हम दुनिया वालों ने मान लिया ।
 क्यों क्यों क्यों? 
क्यों नहीं , समझदार कहलाने वाले ,
 महापुरुषों ने ,
 इस मिथ्या को मिटा दिया ?
 महापुरुषों की बातें छोड़ो ,
 क्यों क्यों क्यों ?
 वुमन पावर का टैग रखने वाली ,
 नारी ने भी अब तक है; मौन धरा ?
 क्यों क्यों क्यों ?
 हो रही शर्म ,
 रजोधर्म की बात बताने में ,
 तुम इसी रज्ज विशेष के कारण
 मां बन पाओगी 
ग़र है शर्म
 तुम्हें रजोधर्म से
 तो खुद को पुरुष  कहलाने की
 आदत डाल दो ।
क्यों क्यों शर्म है?
 तुम्हारा वही रज्ज विशेष ही तो है,
 तुम्हारा विशेषाधिकार
 बिन रजोधर्म
 तुम भी हो पुरुष सम्मान ।

जो रक्त, 
 हर मानव के अंग अंग में बहता है 
अगर नारी के अंग विशेष से बह गया 
तो क्यों क्यों क्यों? 
पाक जगह पर नारी की उपस्थिति को ,
निषेध करार दिया ।
अगर मेरी हर दलील तुम्हें झूठी लगती है ।
अभी भी तुम्हें ,
 नारी की माहवारी ; अपवित्र लगती है ।
 तो सुन लो मुझे चाहने वालों ,
 छाती ठोक के कहता हूँ ;
जी,  मैं भी अपवित्र हूँ ।
 क्योंकि ,
 मैं भी किसी स्त्री के अंग विशेष्य से ,
 यूँ कह दूँ, अपनी माँ के अंग विशेष से 
 निर्गत हुआ।
 मैं भी किसी ,
ठीक उसके जैसे ही
किसी रज्ज विशेष से ही
मेरा भी निर्माण हुआ ।
तो, मैं भी अपवित्र हुआ ।
हाँ मैं भी अपवित्र हूँ ।
कि मेरा भी ठीक उसके जैसे ही 
किसी नारी के रज्ज के अंश से 
निर्माण हुआ ।।
            * छगन चहेता 

मुझे नहीं पता कि हमारे समाज में माहवारी या रजोधर्म के समय महिलाओं को अपवित्र क्यों माना जाता है ?
लोग दलीले देते हैं कि धर्म ग्रंथों में लिखा है , पर वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है । बस धर्म ग्रंथों में इतना लिखा है कि महिलाओं को रजोधर्म के समय यज्ञ में नहीं बैठना चाहिए। जिसका कारण पवित्रता जैसा कुछ नहीं है ; बल्कि पुरातन समय में यज्ञ लंबे समय तक होते थे । जिससे महिलाओं को आग के पास ज्यादा समय तक बैठने से तकलीफ ना हो बस यही एक कारण है । जिसे ना जाने कुछ तुच्छ लोगों ने अपवित्रता के रूप में प्रसारित कर दिया ।
आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाएं पैड को अपारदर्शी या ब्लैक पॉलिथीन में पैक करके ले जाती है । इसका कारण है, महावारी को हमने शर्म का मुद्दा बना दिया है । 
जिससे ना जाने कितनी ?  अधिकतर ग्रामीण परिवेश की लड़कियाँ रजोधर्म के शुरू होने के बाद स्कूल या कॉलेज जाना छोड़ देती है ।
 न जाने क्यों ? नारी भी अपने आप को महावारी के समय अपवित्र मानती हैं ।
शनी मंदिर की प्रथा सुनी ही होगी आपने , वैसी ना जाने कितने मंदिर मस्जिद है जहाँ नारी के प्रवेश को वर्जित किया गया है।
 यह सब गलत है  ; पता है , पर इसका विरोध कौन करें ?
 नारी तुम्हें ही करना होगा क्योंकि अन्याय तुम्हारे ही साथ हो रहा । बेशक मुझसे चंद लोग तुम्हारा साथ देंगे पर अगुवाई तुम्हें ही करनी होगी । रजोधर्म को अपवित्र नहीं आपका  विशेषाधिकार मानना होगा।
 हां बता दूँ,  अक्षय कुमार अभिनीत पैडमैन मूवी बहुत ही शानदार है । शायद यह भी एक कदम है इस रूढी को तोड़ने का । 
तो सब कोशिश करते हैं कि यह विशेषाधिकार नारियों के लिए शर्म की बात ना हो ।
कोशिश करें कि किसी बच्ची का स्कूल - कॉलेज रजोधर्म के कारण ना छूटे।
 हमारे टेक्निकल फ्रेंड भी कोशिश करें कि ऐसे पैड का निर्माण करें कि वह सस्ता मिल मिले । एक शोध के अनुसार पैड के अभाव के कारण महिलाओं द्वारा unsafe कपड़ा प्रयोग करने से उन्हें कई प्रकार के रोग होते हैं.,तो यह ना हो ।
इसी आशा के साथ चलता हूँ कि मेरी यह पहल रंग लाएगी,  चंद लोग, नारी - पुरुष भी मेरा साथ देंगे, ,,,देना ही होगा ।
पुरुष दे ना दे नारीयों को देना ही होगा । शर्म या कहूँ अपनी कमजोरी को त्यागना  होगा क्योंकि तखलीफ तुम्हें हैं ।
हाँ, मुझे भी हैं किसी की तखलीफ देखकर । अपनी तो तखलीफ आपने सहन करनी सीख ली पर मुझसे नहीं होती तो आप मुझे साथ दो।
आशा है दोगे , बस करना कुछ नहीं । खुद की रज्जोधर्म की शर्म त्यागों । ये अपवित्र कहने वाले को करारा जवाब दो । अपने साथ होने वाले,  हर अन्याय का खुल कर विरोध करो । बस मेरी मदद हो गई ।। शुक्रिया ।।

 फिर मिलेंगे किसी ने विचार नहीं रचना नहीं करती के साथ।।

 वैसे आप मुझसे कभी भी मिल सकते हो किसी नारी को सम्मान देने के विचार के साथ  , नारी को समानता की नजर से देखने वाली नजर के साथ,,,,,।।

Plz...अधिक से अधिक शेयर करें, ,,,
पहली बार शेयर की अपील कर रहा हूँ ताकि यह प्रथा,  ये नाजायज शर्म,  अपवित्रता का धब्बा मिट जाए, ,,कुछ मेरा काम भी हो जाए,,,so plz. शेयर करें, ,,,,
  Love to AL
                            * छगन चहेता 

Thursday, 18 January 2018

तुम्हारे पास क्या हैं? ,,,,,,,,,जवाब सच में कुछ नहीं सिवाय इतिहास के, ,,,

यह सवाल कितना कड़वा लगता है जब कोई विदेशी पूछता है और हमारे पास मौन के सिवाय कोई उत्तर नहीं, ,,,,सच में, ,,,सोच के देखों कि आप उपरोक्त पोस्टर पोस्ट करते हो और कोई टिप्पणी करता हैं - " तुम्हारे पास क्या हैं? " आपके पास जवाब हैं मेरे पास भी थे । लेकिन मेरे जवाबों की हकीकत पढ़ों फिर कोई जवाब हो तो मुझे जरूर भेजना, ,,,इन्तजार ।।।।
अब करते हैं कहानी शुरू, ,,,,,,,
बात तब की है जब मेरे साथ मेरे देशवासियों पर  देश भक्ति का रंग चढ़ा था ।  TV , सोशल साइट आदि तिरंगे के रंगों से रंगे थे सभी देशभक्ति से ओतप्रोत थे;  चारों ओर "भारत देश महान" की गूंज सुनाई दे रही थी । आजादी दिवस पास जो था ।
इसी दौर में मेरे किसी विदेशी दोस्त ने मेरी पोस्ट देखकर प्रश्न किया कि इतना उछल रहे हो,  आपके देश के पास है क्या ? तो मै देशभक्ति से ओतप्रोत  था ही कहा कि ये पूछ बेटा कि तुम्हारे पास क्या नहीं है? जो मेरे देश के पास है वह किसी के पास नहीं , इसकी खासियत की लिस्ट पढ़ते-पढ़ते तेरी सात पीढीयाँ  गुजर जाएगी  फिर भी पूरा नहीं पढ़ पाओगे ।
 उसने कहा- कुछ खास बता तो सही या यूं ही अपनी खोखली बातें सुनाता रहेगा।
 तो मुझे भी थोड़ा गुस्सा आ गया कि चल तुझे कल देश के विशेषताओं की लिस्ट भेजता हूँ।
 शाम को बैठा देश की विशेषताएँ लिखने । फिर मैंने उन  विशेषताओं का आत्म विश्लेषण किया तो हकीकत सामने आई मेरे मुल्क की,,,तो सोचा कि दुनिया को तो नहीं बता सकता पर हमवतनों को तो बताऊं कि हमारे देश के पास सचमुच में गौरवशाली इतिहास के सिवाय कुछ  नहीं हैं ।

ये कुछ देश की विशेषताएँ और उन पर मेरा यानी छगन चहेता का आत्मविश्लेषण ---
● मेरे देश में संस्कार है ।
छगन चहेता- सोचो क्या वाकई यह बात सही है ?
 क्या मेरे देश में संस्कार है ? यदि हाँ तो देश में इतने वृद्धाश्रम नहीं होते , माता-पिता बेटे के आश्रय को नहीं तरसते ।
● मेरे देश में नारी का सम्मान किया जाता है ।
छगन चहेता - सच है । दिल पर हाथ रखकर हर हिन्दुस्तानी सोचें । उत्तर मिलेगा,  नहीं । यदि उत्तर मिले हाँ , तो दामिनी हत्या ;  इन जैसी रोज अन्य ना जाने कितनी घटनाएँ, हमेशा लिंगानुपात का बढ़ता फासला, घरेलू हिंसा के बढ़ते आंकड़े , रोज सुनता बलात्कार जैसे कृकत्य ; यह सब क्या किसी और देश की बातें हैं । याददाश्त टटोलो, ,,,
 ●मेरेे देश में ताजमहल  हैं ।
छगन चहेता - कहते है कि मोहब्बत की निशानी है पर फिर भी हमेशा उसे किसी मजहब से जोड़कर देखा जाता है । इस पर भी हम लड़ रहे है ना।
●मेरे देश में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
छगन चहेता - वही लोकतंत्र ना जिसके वोट,  नोट के दम पर मिलते हैं।  वही लोकतंत्र ना जिसे लालचतंत्र / डरतंत्र बोलना जायज होगा । यदि लोकतंत्र होता तो ऊँचेे - ऊँचेे ओहदों पर लोगों का खून चूसने वाले कीड़े ना होते । देश को बेच कर खाने वाले भ्रष्टाचारी नेता ना होते ।
● मेरे देश में धर्मनिरपेक्षता है ।
छगन चहेता - हर चुनाव में धर्म के नाम पर टिकटें बिकती हैं ।स्कूल में एडमिशन से पहले जाति , धर्म का पूछा जाता है। जिस देश में सिर्फ धर्म विशेष की ही राजनीति का होतीं है , उस को धर्मनिरपेक्ष कहा जाना कितना सही होगा।
● मेरे देश में भाईचारा है।
छगन चहेता - वह , यह मान भी लेगा कि हो सकता है पर एक अंतरराष्ट्रीय भाई  पाकिस्तान भी है ना , जिससे हम ना जाने एक दिन में कितनी दफा लड़ लेते हैं । सभ्य कहलाने वाले हिंदुस्तानी ही न जाने कितनी गाली एक पंक्ति में दे डालते हैं। ●मेरे देश में एकता है ।
छगन चहेता- किसी भी पुलिस थाने की FIR रजिस्टर देख लो न जाने कितनी भाई-भाई के बैर की रिपोटर्स दर्ज है।  यह तो उससे छुपा भी लूँ पर कश्मीर के अलगाव का मुद्दा तो जगजाहिर है।
अब सोचा क्या लिखुँ तारीफ में अपने देश की
¤ यह की एक सरकार है जो हर पाँच साल  में बदलती है ; उनका बदलना मानो भूत भागे तो प्रेत जागे जैसा है ।
¤व्यवस्था तंत्र के नाम पर एक भ्रष्टतंत्र है, टेबल के नीचे से धन जाएगा तो काम होगा नहीं तो चक्कर काटते रहो उम्र भर दफ्तर के।
● मेरे देश के पास गांधी के विचार है ।
छगन चहेता - जो सुनने को मिलती हिंसा  की खबरें , गांधी सर्कल के पास जमा कचरे के ढेर की तस्वीरें कहाँ का छुपाऊँ।
●मेरे देश के पास विवेकानंद जैसी युवा सोच है।
छगन चहेता - तो उन युवा सोच का क्या करूँ ? जिनकी सोच नारी की अस्मिता से ऊपर नहीं उठती , जो मेहनत से कतराते हैं ;  बस हर काम के शॉर्टकट अपनाते हैं । हिंसा , ईर्ष्या में ही जलते हैं ।

सोचा कि अपनी बिरादरी के लोगों की तरह उपमा-उपमेय व  इतिहास से विशेषणों का उपयोग कर ,  कविता का सृजन कर दूँ और उस परदेशी यार की बोलती बन्द कर दूँ ।
फिर सोचा कि क्या यह विशेषण सही में मेरे देश पर फिट बैठते हैं ? जवाब आया - ना ।
तो क्या यह मेरे आदर्शों का अपमान नहीं है ? यह तो उस सत्यवादी हरिश्चंद्र का अपमान होगा ।
 क्यों खोखली तारीफ में अपने दोस्त को दगा दूँ ?
भाड़ में जाए सच्चाई और ईमानदारी के उसूल, ,,क्या हैं चिपका देता हूँ, ,,मस्त सी , वीररस की कविता, ,,,यही तो हो रहा है अपने देश में । झूठी तारीफे । खोखले वायदें। तो अपने को कौनसी सत्यवादी की उपाधि लेनी है। चिपका डाल पर एक और प्रश्न उठा कि खुदा-न-खास्ता ,,,अगर       महिमा सुन मेरे देश की उसका भी मन कर दे, इस जमीन के जन्नत के दीदार का। आ जाए कभी मेरे मुल्क तो न्यूज़ पेपर में कौन-कौन से पेज छुपाऊँगा , कौन-कौन सा TV चैनल रोकुँगा । देश की हकीकत उससे कैसे छुपाऊँगा जिसमें है बस दंगों की आग , मजहबों  की लड़ाई ,  भाई-भाई का अलगाव , परदेस - परदेस का अलगाव , मियां बीवी के तलाक , सड़कों पर लूटती  औरत की इज्जत ,  कचरे-मजदूरी में बीतता बच्चों के बचपन का वसंत ।
घुमाने निकलूंगा ;  उसको दिखाने निकलूंगा ,  अपने देश का गौरव तो  रोते आम आदमी के आंसू कैसे पूछूंगा  । पानी को तरसती फसल ,  आत्महत्या करते किसान , उसकी नजरों से कैसे बचाऊंगा ।
 सड़कों की गंदगी को शायद वह इग्नोर(नजरअंदाज) भी कर दे पर परदेसी की औरतों के खुली जांघों पर पड़ती,  मेरे अपने ही देश के तथाकथित मर्दों की  गंदी नियत से कैसे बचाऊँगा ।
 दिखाने ले जाऊंगा मेरे देश के स्मार्ट शहर पर सड़कों  पर भीख मांगते गरीबों को कैसे हटाऊँगा ।
देख हकीकत मेरे देश की , वह जरूर मुझे मेरी कविता की याद दिलाएगा तब मैं अपने चेहरे को कहाँ छुपाऊँगा ।।

फिर रात भर सोचने के बाद सुबह उसको मैसेज किया कि ""भाई,,, था हमारा इतिहास उज्जवल जिस पर ही हमको गुमान है । नहीं है,  कुछ भी वर्तमान का गौरव हमारा । बस चंद अदीब ही  है भविष्य हमारा ।।""

 आएगा कभी वह मेहमान देश हमारे ,  तो बस आंखों पर पट्टी बांध , उसको इतिहासों के पद चिन्हों पर ले जाऊंगा । वही पर पट्टी खोल ; बस वही हमारा गौरवशाली इतिहास दिखाऊंगा । क्योंकि है नहीं दिखाने का कुछ भी हमारे पास गौरवशाली इतिहास के सिवाय । जो देश की हकीकत देख ली उसने तो फिर कैसे में हुंकार भरूँगा कि "भारत मेरा महान" " भारत मेरा महान""।
 बस यही आशा करता हूँ कि फिर से किसी राम , रहीम से चरित्र का , विवेकानंद से युवा , अब्दुल कलाम से व्यक्तित्व का निर्माण इस धरा पर होगा । फिर से विश्व गुरु का सपना हमारा साकार होगा । हर नारी  पूर्ण सम्मान , इज्जत की हकदार होगी । फिर से पूछे कोई कि क्या है तुम्हारे देश के पास ? तो फिर से ना किसी "छगन" को शर्मिंदा होना पड़े।  मेरे देश के पास भी इतिहास के अलावा गौरवशाली वर्तमान हो, सुनहरा भविष्य हो। आशा है कि उसको जवाब देने के लिए इतिहास से भी ज्यादा वर्तमान का वर्णन हो ।।


कुछ चीजें नहीं हो रही हैं पर होनी चाहिए पर शुरुआत कौन करें ? किसे शांति , सुख , इंसानियत पसंद नहीं पर फैलाने की शुरुआत कौन करें, ,   ,,?
☆चलो हम शुरुआत करते हैं दामिनी हत्या(बलात्कार) से कलंक मिटाने की, कश्मीर की आग बुझाने की , पाकिस्तान को गले लगाने की।। चलो कोशिशों की शुरुआत करते हैं । चलो चलते हैं दुनिया को शांति का पैगाम पहुँचाने, ,,हम से ही खुद से ही शुरुआत करते, इंसानियत अपनाने की।।

चलो चलाता हूँ दुनिया और भी हैं, ,,उनको अपनत्व,  प्यार बाँटने ।। फिर मिलेंगे किसी नई रचना,  विचारधारा के साथ ।।।
वैसे आप मुझसे कभी भी मिल सकते हो प्यार के पैगाम,  अपनत्व के अहसास , इंसानियत की महक के साथ ।।जय हिन्द ।।
भारत मेरा महान, ,,,,,,,भारत मेरा महान ।।।
#LOVE U ...#LoveToAll
#HowIWillChange but change_it's
#CHHAGAN_CHAHETA
                                 
                                        *छगन चहेता


 हिन्दुस्तान की हकीकत बँया करने वाली ऐसी तस्वीरों की Google जैसी साइटस् पर कमी नहीं हैं ।

Tuesday, 16 January 2018

छगन चहेता की कविता,,,,,,नन्हें खुदा के लिए ....

मेरा नन्हा खुदा-कपिल (भाणेज)Click by LAKHARAM 
कविता 
तेरी खिलखिलाहट , मुस्कुराहट
 पिगला लेती है पत्थर से भी दिल को
पता नहीं क्या जादू है तेरी मुस्कान में ।
आता हूँ थका- हारा घर
 फिर भी तेरी मुस्कान देख खुद को तरोताजा पाता हूँ
तू है वाकई कोई कण चुम्बक का तभी तो सारा परिवार इकट्ठा होता है तेरे परितः
जरुर तू  उथल-पुथल,  घर में उधम मचाता है;
 हर एक व्यवस्था की वाट लगाता है;
 फिर भी न जाने क्यों , तू ही दिल को चैन दिलाता है ।
जब सो जाता है तू, तो घर में शांति नहीं सन्नाटा होता है।
  तू जब ताली बजाकर जोरों से मुस्कुराता है ,
तब चाहता दिल की यहीं थम जाए यह पल
पर जानता हूँ ऐसा हो नहीं सकता,
 प्रकृति को कोई रोक नहीं सकता।
 सच कहूँ मेरे नन्हे खुदा तूने ही तो मुझे जीने का ढंग सिखाया है ।
करूँगा कोशिश की
तेरे बचपन के लम्हें  जीए तू जी भरके
खोने ना दूँगा तेरा बचपन इन स्कूली किताबों में
सिखाने की कोशिश करूँगा हुनर हाथों का
 सीखा न सकुँ न्यूटन, आइंस्टीन के नियमों को
समझा दूँगा खुश रहने के उसूलों को
 पढ़ा दूँगा पाठ  शिष्टाचार , सदाचार , संयम, समझदारी का
 बता दूँगा कि करना है सम्मान सदा हर नारी का।।
                                           * छगन चहेता
नन्हें खुदा से मेरे रिश्ते को दुनिया मामा-भांंजा के नाम
 से भी जानते हैं । धन्यवाद कपिल मुझे खुशनुमा जिन्दगी देने के लिए,,,,दिल से
♡ उस घर में क्या जरूरत पूजा की जहाँ नन्हें बच्चे रहते हो, उनसे थोड़ी देर खेल लो, मिल जाएगी वो खुशी जिसको खुदा भी तरसता हैं ।
♡ बस इसी आशा के साथ चलता हूँ कि कोई अपने बच्चों को आज के शिक्षा की अंधाधुँध दौड़ में ना दौड़ाए , बस उन्हें अपने -पराये की बजाय अच्छे-बुरे में भेद सिखाने की कोशिश करें ।
उन्हें सामाजिक  (मेरा मतलब जातिगत समाज से नहीं है) मूल्य सिखाने की कोशिश करें ।
 "मैंने यह नहीं कहां कि बच्चों को स्कूली शिक्षा ना दे या विज्ञान के नियमों को ना सिखाए परंतु सबकुछ सिखने के लिए नहीं होता,  आधारभूत शिक्षा आवश्यक रूप से दिलाए, आगे बच्चे की रूचि को तव्वजों दी जाए, ,,शायद यह बेहतर होगा बच्चे और हम सब के लिए .....भले ही किसी भी महान व्यक्ति का इतिहास देख लो....बाकी कौन किसी की बात मानता है तो फिर मैं क्या चीज हूँ ।
अंतिम बात अपने बच्चों को नारी का सम्मान करना जरूर सीखाए ...इस बात में कोई तर्क - वितर्क नहीं क्योंकि बच्चे के रूचि को तव्वजों ना देकर आप बच्चे के भविष्य को खराब कर रहें हो हाँलाकी मुझे यह भी कतई पसंद नहीं और नारी सम्मान की शिक्षा ना देकर आप पूरे समाज का भविष्य खराब कर रहें हो ।
¤ हर बच्चे से प्रेम करें क्योंकि बच्चे ही तो सच्चे इंसान होते हैं बतलाओ तो प्यार,  दूत्कारों तो बस मौन, ना नफरत ना द्वेष ।
वैसे बच्चों को डांटने वाले मुझे पसंद नहीं ।।
° ठीक है फिर मिलेंगे किसी नई रचना, नई विचारधारा के साथ
वैसे आप मुझसे कभी भी,  किसी भी समय मिल सकते हो बच्चे सी हँसी,  बच्चे सी अपनीयत के साथ .........#LOVE TO CHILDREN ....LOVE TO SMILE
#LOVE U & #LOVE TO ALL

Tuesday, 9 January 2018

अपनी असलियत, ,,कविताओं से,,,छगन चहेता की कविता;;;;

                           (1)
नहीं ढूंढता अपनी मोहब्बत ऊंचे ऊंचे बंगलो में  ,
हो सकता है वह रहती हो किसी शहर के छोटे से कोने में।

 नहीं ढूंढता अपनी मोहब्बत महंगी महंगी गाडी में ,
हो सकता है वह मिल जाए किसी गांव की पगड़ड़ी में।

 नहीं ढूंढता अपनी मोहब्बत हर एक हसीन चहरे में ,
 हो सकता है वह छुपी हो किसी खूबसूरत से दिल वाली लड़की में।।
                                * छगन चहेता

 
                        (2)
की होगी तारीफे न जाने कितनों ने तुम्हारे हुस्न की,
 किये होंगे वादे तेरे लिए चांद तारे लाने के,
 ताज के ख्वाब भी दिखाए होंगे ,
जान देने को भी तैयार होंगे बहुत सारे।
 पर मेरा वादा है इन सब से ऊपर ,
रहे ना किसी दिन ये नूरानी चेहरा, हुस्न की जवानी,
 तब तेरे चेहरे की झुर्रियों से भी रहेगी मेरी दीवानगी।।
         
                                 * छगन चहेता
 
                          (3)
जब मिली नहीं वजह मुस्कुराने की तो सीख लिया ,
बस यूं ही मुस्कुराना ,बस यूं ही गुनगुनाना ।
मत जलना मुझसे दुनिया वालों कि यह कैसे बिन मतलब के मुस्कुरा लेता है।
 आसान नहीं है यारों,  बस यूं ही मुस्कुराना ;
इसके लिए खुद को पागल की संज्ञा देनी पड़ती है।
   पागलपन  के  ताने भी सहने पड़ते हैं ।।

                                   * छगन चहेता

¤ कुछ चीजें ना छुपाई जाए तो बेहतर हैं ।
 वैसे मुझे गम के सिवाय कुछ भी छुपाने का शौक नहीं हैं, कभी कभी तो अपनों के सामने गम भी नहीं छुपा पाता हूँ ।
 
                                * छगन चहेता 

डायरी : 2 October 2020

कुछ समय से मुलाकातें टलती रही या टाल दी गई लेकिन कल फोन आया तो यूँ ही मैं निकल गया मिलने। किसी चीज़ को जीने में मजा तब आता है जब उसको पाने ...