यह सवाल कितना कड़वा लगता है जब कोई विदेशी पूछता है और हमारे पास मौन के सिवाय कोई उत्तर नहीं, ,,,,सच में, ,,,सोच के देखों कि आप उपरोक्त पोस्टर पोस्ट करते हो और कोई टिप्पणी करता हैं - " तुम्हारे पास क्या हैं? " आपके पास जवाब हैं मेरे पास भी थे । लेकिन मेरे जवाबों की हकीकत पढ़ों फिर कोई जवाब हो तो मुझे जरूर भेजना, ,,,इन्तजार ।।।।
अब करते हैं कहानी शुरू, ,,,,,,,
बात तब की है जब मेरे साथ मेरे देशवासियों पर देश भक्ति का रंग चढ़ा था । TV , सोशल साइट आदि तिरंगे के रंगों से रंगे थे सभी देशभक्ति से ओतप्रोत थे; चारों ओर "भारत देश महान" की गूंज सुनाई दे रही थी । आजादी दिवस पास जो था ।
इसी दौर में मेरे किसी विदेशी दोस्त ने मेरी पोस्ट देखकर प्रश्न किया कि इतना उछल रहे हो, आपके देश के पास है क्या ? तो मै देशभक्ति से ओतप्रोत था ही कहा कि ये पूछ बेटा कि तुम्हारे पास क्या नहीं है? जो मेरे देश के पास है वह किसी के पास नहीं , इसकी खासियत की लिस्ट पढ़ते-पढ़ते तेरी सात पीढीयाँ गुजर जाएगी फिर भी पूरा नहीं पढ़ पाओगे ।
उसने कहा- कुछ खास बता तो सही या यूं ही अपनी खोखली बातें सुनाता रहेगा।
तो मुझे भी थोड़ा गुस्सा आ गया कि चल तुझे कल देश के विशेषताओं की लिस्ट भेजता हूँ।
शाम को बैठा देश की विशेषताएँ लिखने । फिर मैंने उन विशेषताओं का आत्म विश्लेषण किया तो हकीकत सामने आई मेरे मुल्क की,,,तो सोचा कि दुनिया को तो नहीं बता सकता पर हमवतनों को तो बताऊं कि हमारे देश के पास सचमुच में गौरवशाली इतिहास के सिवाय कुछ नहीं हैं ।
ये कुछ देश की विशेषताएँ और उन पर मेरा यानी छगन चहेता का आत्मविश्लेषण ---
● मेरे देश में संस्कार है ।
छगन चहेता- सोचो क्या वाकई यह बात सही है ?
क्या मेरे देश में संस्कार है ? यदि हाँ तो देश में इतने वृद्धाश्रम नहीं होते , माता-पिता बेटे के आश्रय को नहीं तरसते ।
● मेरे देश में नारी का सम्मान किया जाता है ।
छगन चहेता - सच है । दिल पर हाथ रखकर हर हिन्दुस्तानी सोचें । उत्तर मिलेगा, नहीं । यदि उत्तर मिले हाँ , तो दामिनी हत्या ; इन जैसी रोज अन्य ना जाने कितनी घटनाएँ, हमेशा लिंगानुपात का बढ़ता फासला, घरेलू हिंसा के बढ़ते आंकड़े , रोज सुनता बलात्कार जैसे कृकत्य ; यह सब क्या किसी और देश की बातें हैं । याददाश्त टटोलो, ,,,
●मेरेे देश में ताजमहल हैं ।
छगन चहेता - कहते है कि मोहब्बत की निशानी है पर फिर भी हमेशा उसे किसी मजहब से जोड़कर देखा जाता है । इस पर भी हम लड़ रहे है ना।
●मेरे देश में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
छगन चहेता - वही लोकतंत्र ना जिसके वोट, नोट के दम पर मिलते हैं। वही लोकतंत्र ना जिसे लालचतंत्र / डरतंत्र बोलना जायज होगा । यदि लोकतंत्र होता तो ऊँचेे - ऊँचेे ओहदों पर लोगों का खून चूसने वाले कीड़े ना होते । देश को बेच कर खाने वाले भ्रष्टाचारी नेता ना होते ।
● मेरे देश में धर्मनिरपेक्षता है ।
छगन चहेता - हर चुनाव में धर्म के नाम पर टिकटें बिकती हैं ।स्कूल में एडमिशन से पहले जाति , धर्म का पूछा जाता है। जिस देश में सिर्फ धर्म विशेष की ही राजनीति का होतीं है , उस को धर्मनिरपेक्ष कहा जाना कितना सही होगा।
● मेरे देश में भाईचारा है।
छगन चहेता - वह , यह मान भी लेगा कि हो सकता है पर एक अंतरराष्ट्रीय भाई पाकिस्तान भी है ना , जिससे हम ना जाने एक दिन में कितनी दफा लड़ लेते हैं । सभ्य कहलाने वाले हिंदुस्तानी ही न जाने कितनी गाली एक पंक्ति में दे डालते हैं। ●मेरे देश में एकता है ।
छगन चहेता- किसी भी पुलिस थाने की FIR रजिस्टर देख लो न जाने कितनी भाई-भाई के बैर की रिपोटर्स दर्ज है। यह तो उससे छुपा भी लूँ पर कश्मीर के अलगाव का मुद्दा तो जगजाहिर है।
अब सोचा क्या लिखुँ तारीफ में अपने देश की
¤ यह की एक सरकार है जो हर पाँच साल में बदलती है ; उनका बदलना मानो भूत भागे तो प्रेत जागे जैसा है ।
¤व्यवस्था तंत्र के नाम पर एक भ्रष्टतंत्र है, टेबल के नीचे से धन जाएगा तो काम होगा नहीं तो चक्कर काटते रहो उम्र भर दफ्तर के।
● मेरे देश के पास गांधी के विचार है ।
छगन चहेता - जो सुनने को मिलती हिंसा की खबरें , गांधी सर्कल के पास जमा कचरे के ढेर की तस्वीरें कहाँ का छुपाऊँ।
●मेरे देश के पास विवेकानंद जैसी युवा सोच है।
छगन चहेता - तो उन युवा सोच का क्या करूँ ? जिनकी सोच नारी की अस्मिता से ऊपर नहीं उठती , जो मेहनत से कतराते हैं ; बस हर काम के शॉर्टकट अपनाते हैं । हिंसा , ईर्ष्या में ही जलते हैं ।
सोचा कि अपनी बिरादरी के लोगों की तरह उपमा-उपमेय व इतिहास से विशेषणों का उपयोग कर , कविता का सृजन कर दूँ और उस परदेशी यार की बोलती बन्द कर दूँ ।
फिर सोचा कि क्या यह विशेषण सही में मेरे देश पर फिट बैठते हैं ? जवाब आया - ना ।
तो क्या यह मेरे आदर्शों का अपमान नहीं है ? यह तो उस सत्यवादी हरिश्चंद्र का अपमान होगा ।
क्यों खोखली तारीफ में अपने दोस्त को दगा दूँ ?
भाड़ में जाए सच्चाई और ईमानदारी के उसूल, ,,क्या हैं चिपका देता हूँ, ,,मस्त सी , वीररस की कविता, ,,,यही तो हो रहा है अपने देश में । झूठी तारीफे । खोखले वायदें। तो अपने को कौनसी सत्यवादी की उपाधि लेनी है। चिपका डाल पर एक और प्रश्न उठा कि खुदा-न-खास्ता ,,,अगर महिमा सुन मेरे देश की उसका भी मन कर दे, इस जमीन के जन्नत के दीदार का। आ जाए कभी मेरे मुल्क तो न्यूज़ पेपर में कौन-कौन से पेज छुपाऊँगा , कौन-कौन सा TV चैनल रोकुँगा । देश की हकीकत उससे कैसे छुपाऊँगा जिसमें है बस दंगों की आग , मजहबों की लड़ाई , भाई-भाई का अलगाव , परदेस - परदेस का अलगाव , मियां बीवी के तलाक , सड़कों पर लूटती औरत की इज्जत , कचरे-मजदूरी में बीतता बच्चों के बचपन का वसंत ।
घुमाने निकलूंगा ; उसको दिखाने निकलूंगा , अपने देश का गौरव तो रोते आम आदमी के आंसू कैसे पूछूंगा । पानी को तरसती फसल , आत्महत्या करते किसान , उसकी नजरों से कैसे बचाऊंगा ।
सड़कों की गंदगी को शायद वह इग्नोर(नजरअंदाज) भी कर दे पर परदेसी की औरतों के खुली जांघों पर पड़ती, मेरे अपने ही देश के तथाकथित मर्दों की गंदी नियत से कैसे बचाऊँगा ।
दिखाने ले जाऊंगा मेरे देश के स्मार्ट शहर पर सड़कों पर भीख मांगते गरीबों को कैसे हटाऊँगा ।
देख हकीकत मेरे देश की , वह जरूर मुझे मेरी कविता की याद दिलाएगा तब मैं अपने चेहरे को कहाँ छुपाऊँगा ।।
फिर रात भर सोचने के बाद सुबह उसको मैसेज किया कि ""भाई,,, था हमारा इतिहास उज्जवल जिस पर ही हमको गुमान है । नहीं है, कुछ भी वर्तमान का गौरव हमारा । बस चंद अदीब ही है भविष्य हमारा ।।""
आएगा कभी वह मेहमान देश हमारे , तो बस आंखों पर पट्टी बांध , उसको इतिहासों के पद चिन्हों पर ले जाऊंगा । वही पर पट्टी खोल ; बस वही हमारा गौरवशाली इतिहास दिखाऊंगा । क्योंकि है नहीं दिखाने का कुछ भी हमारे पास गौरवशाली इतिहास के सिवाय । जो देश की हकीकत देख ली उसने तो फिर कैसे में हुंकार भरूँगा कि "भारत मेरा महान" " भारत मेरा महान""।
बस यही आशा करता हूँ कि फिर से किसी राम , रहीम से चरित्र का , विवेकानंद से युवा , अब्दुल कलाम से व्यक्तित्व का निर्माण इस धरा पर होगा । फिर से विश्व गुरु का सपना हमारा साकार होगा । हर नारी पूर्ण सम्मान , इज्जत की हकदार होगी । फिर से पूछे कोई कि क्या है तुम्हारे देश के पास ? तो फिर से ना किसी "छगन" को शर्मिंदा होना पड़े। मेरे देश के पास भी इतिहास के अलावा गौरवशाली वर्तमान हो, सुनहरा भविष्य हो। आशा है कि उसको जवाब देने के लिए इतिहास से भी ज्यादा वर्तमान का वर्णन हो ।।
कुछ चीजें नहीं हो रही हैं पर होनी चाहिए पर शुरुआत कौन करें ? किसे शांति , सुख , इंसानियत पसंद नहीं पर फैलाने की शुरुआत कौन करें, , ,,?
☆चलो हम शुरुआत करते हैं दामिनी हत्या(बलात्कार) से कलंक मिटाने की, कश्मीर की आग बुझाने की , पाकिस्तान को गले लगाने की।। चलो कोशिशों की शुरुआत करते हैं । चलो चलते हैं दुनिया को शांति का पैगाम पहुँचाने, ,,हम से ही खुद से ही शुरुआत करते, इंसानियत अपनाने की।।
चलो चलाता हूँ दुनिया और भी हैं, ,,उनको अपनत्व, प्यार बाँटने ।। फिर मिलेंगे किसी नई रचना, विचारधारा के साथ ।।।
वैसे आप मुझसे कभी भी मिल सकते हो प्यार के पैगाम, अपनत्व के अहसास , इंसानियत की महक के साथ ।।जय हिन्द ।।
भारत मेरा महान, ,,,,,,,भारत मेरा महान ।।।
#LOVE U ...#LoveToAll
#HowIWillChange but change_it's
#CHHAGAN_CHAHETA
*छगन चहेता
अब करते हैं कहानी शुरू, ,,,,,,,
बात तब की है जब मेरे साथ मेरे देशवासियों पर देश भक्ति का रंग चढ़ा था । TV , सोशल साइट आदि तिरंगे के रंगों से रंगे थे सभी देशभक्ति से ओतप्रोत थे; चारों ओर "भारत देश महान" की गूंज सुनाई दे रही थी । आजादी दिवस पास जो था ।
इसी दौर में मेरे किसी विदेशी दोस्त ने मेरी पोस्ट देखकर प्रश्न किया कि इतना उछल रहे हो, आपके देश के पास है क्या ? तो मै देशभक्ति से ओतप्रोत था ही कहा कि ये पूछ बेटा कि तुम्हारे पास क्या नहीं है? जो मेरे देश के पास है वह किसी के पास नहीं , इसकी खासियत की लिस्ट पढ़ते-पढ़ते तेरी सात पीढीयाँ गुजर जाएगी फिर भी पूरा नहीं पढ़ पाओगे ।
उसने कहा- कुछ खास बता तो सही या यूं ही अपनी खोखली बातें सुनाता रहेगा।
तो मुझे भी थोड़ा गुस्सा आ गया कि चल तुझे कल देश के विशेषताओं की लिस्ट भेजता हूँ।
शाम को बैठा देश की विशेषताएँ लिखने । फिर मैंने उन विशेषताओं का आत्म विश्लेषण किया तो हकीकत सामने आई मेरे मुल्क की,,,तो सोचा कि दुनिया को तो नहीं बता सकता पर हमवतनों को तो बताऊं कि हमारे देश के पास सचमुच में गौरवशाली इतिहास के सिवाय कुछ नहीं हैं ।
ये कुछ देश की विशेषताएँ और उन पर मेरा यानी छगन चहेता का आत्मविश्लेषण ---
● मेरे देश में संस्कार है ।
छगन चहेता- सोचो क्या वाकई यह बात सही है ?
क्या मेरे देश में संस्कार है ? यदि हाँ तो देश में इतने वृद्धाश्रम नहीं होते , माता-पिता बेटे के आश्रय को नहीं तरसते ।
● मेरे देश में नारी का सम्मान किया जाता है ।
छगन चहेता - सच है । दिल पर हाथ रखकर हर हिन्दुस्तानी सोचें । उत्तर मिलेगा, नहीं । यदि उत्तर मिले हाँ , तो दामिनी हत्या ; इन जैसी रोज अन्य ना जाने कितनी घटनाएँ, हमेशा लिंगानुपात का बढ़ता फासला, घरेलू हिंसा के बढ़ते आंकड़े , रोज सुनता बलात्कार जैसे कृकत्य ; यह सब क्या किसी और देश की बातें हैं । याददाश्त टटोलो, ,,,
●मेरेे देश में ताजमहल हैं ।
छगन चहेता - कहते है कि मोहब्बत की निशानी है पर फिर भी हमेशा उसे किसी मजहब से जोड़कर देखा जाता है । इस पर भी हम लड़ रहे है ना।
●मेरे देश में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
छगन चहेता - वही लोकतंत्र ना जिसके वोट, नोट के दम पर मिलते हैं। वही लोकतंत्र ना जिसे लालचतंत्र / डरतंत्र बोलना जायज होगा । यदि लोकतंत्र होता तो ऊँचेे - ऊँचेे ओहदों पर लोगों का खून चूसने वाले कीड़े ना होते । देश को बेच कर खाने वाले भ्रष्टाचारी नेता ना होते ।
● मेरे देश में धर्मनिरपेक्षता है ।
छगन चहेता - हर चुनाव में धर्म के नाम पर टिकटें बिकती हैं ।स्कूल में एडमिशन से पहले जाति , धर्म का पूछा जाता है। जिस देश में सिर्फ धर्म विशेष की ही राजनीति का होतीं है , उस को धर्मनिरपेक्ष कहा जाना कितना सही होगा।
● मेरे देश में भाईचारा है।
छगन चहेता - वह , यह मान भी लेगा कि हो सकता है पर एक अंतरराष्ट्रीय भाई पाकिस्तान भी है ना , जिससे हम ना जाने एक दिन में कितनी दफा लड़ लेते हैं । सभ्य कहलाने वाले हिंदुस्तानी ही न जाने कितनी गाली एक पंक्ति में दे डालते हैं। ●मेरे देश में एकता है ।
छगन चहेता- किसी भी पुलिस थाने की FIR रजिस्टर देख लो न जाने कितनी भाई-भाई के बैर की रिपोटर्स दर्ज है। यह तो उससे छुपा भी लूँ पर कश्मीर के अलगाव का मुद्दा तो जगजाहिर है।
अब सोचा क्या लिखुँ तारीफ में अपने देश की
¤ यह की एक सरकार है जो हर पाँच साल में बदलती है ; उनका बदलना मानो भूत भागे तो प्रेत जागे जैसा है ।
¤व्यवस्था तंत्र के नाम पर एक भ्रष्टतंत्र है, टेबल के नीचे से धन जाएगा तो काम होगा नहीं तो चक्कर काटते रहो उम्र भर दफ्तर के।
● मेरे देश के पास गांधी के विचार है ।
छगन चहेता - जो सुनने को मिलती हिंसा की खबरें , गांधी सर्कल के पास जमा कचरे के ढेर की तस्वीरें कहाँ का छुपाऊँ।
●मेरे देश के पास विवेकानंद जैसी युवा सोच है।
छगन चहेता - तो उन युवा सोच का क्या करूँ ? जिनकी सोच नारी की अस्मिता से ऊपर नहीं उठती , जो मेहनत से कतराते हैं ; बस हर काम के शॉर्टकट अपनाते हैं । हिंसा , ईर्ष्या में ही जलते हैं ।
सोचा कि अपनी बिरादरी के लोगों की तरह उपमा-उपमेय व इतिहास से विशेषणों का उपयोग कर , कविता का सृजन कर दूँ और उस परदेशी यार की बोलती बन्द कर दूँ ।
फिर सोचा कि क्या यह विशेषण सही में मेरे देश पर फिट बैठते हैं ? जवाब आया - ना ।
तो क्या यह मेरे आदर्शों का अपमान नहीं है ? यह तो उस सत्यवादी हरिश्चंद्र का अपमान होगा ।
क्यों खोखली तारीफ में अपने दोस्त को दगा दूँ ?
भाड़ में जाए सच्चाई और ईमानदारी के उसूल, ,,क्या हैं चिपका देता हूँ, ,,मस्त सी , वीररस की कविता, ,,,यही तो हो रहा है अपने देश में । झूठी तारीफे । खोखले वायदें। तो अपने को कौनसी सत्यवादी की उपाधि लेनी है। चिपका डाल पर एक और प्रश्न उठा कि खुदा-न-खास्ता ,,,अगर महिमा सुन मेरे देश की उसका भी मन कर दे, इस जमीन के जन्नत के दीदार का। आ जाए कभी मेरे मुल्क तो न्यूज़ पेपर में कौन-कौन से पेज छुपाऊँगा , कौन-कौन सा TV चैनल रोकुँगा । देश की हकीकत उससे कैसे छुपाऊँगा जिसमें है बस दंगों की आग , मजहबों की लड़ाई , भाई-भाई का अलगाव , परदेस - परदेस का अलगाव , मियां बीवी के तलाक , सड़कों पर लूटती औरत की इज्जत , कचरे-मजदूरी में बीतता बच्चों के बचपन का वसंत ।
घुमाने निकलूंगा ; उसको दिखाने निकलूंगा , अपने देश का गौरव तो रोते आम आदमी के आंसू कैसे पूछूंगा । पानी को तरसती फसल , आत्महत्या करते किसान , उसकी नजरों से कैसे बचाऊंगा ।
सड़कों की गंदगी को शायद वह इग्नोर(नजरअंदाज) भी कर दे पर परदेसी की औरतों के खुली जांघों पर पड़ती, मेरे अपने ही देश के तथाकथित मर्दों की गंदी नियत से कैसे बचाऊँगा ।
दिखाने ले जाऊंगा मेरे देश के स्मार्ट शहर पर सड़कों पर भीख मांगते गरीबों को कैसे हटाऊँगा ।
देख हकीकत मेरे देश की , वह जरूर मुझे मेरी कविता की याद दिलाएगा तब मैं अपने चेहरे को कहाँ छुपाऊँगा ।।
फिर रात भर सोचने के बाद सुबह उसको मैसेज किया कि ""भाई,,, था हमारा इतिहास उज्जवल जिस पर ही हमको गुमान है । नहीं है, कुछ भी वर्तमान का गौरव हमारा । बस चंद अदीब ही है भविष्य हमारा ।।""
आएगा कभी वह मेहमान देश हमारे , तो बस आंखों पर पट्टी बांध , उसको इतिहासों के पद चिन्हों पर ले जाऊंगा । वही पर पट्टी खोल ; बस वही हमारा गौरवशाली इतिहास दिखाऊंगा । क्योंकि है नहीं दिखाने का कुछ भी हमारे पास गौरवशाली इतिहास के सिवाय । जो देश की हकीकत देख ली उसने तो फिर कैसे में हुंकार भरूँगा कि "भारत मेरा महान" " भारत मेरा महान""।
बस यही आशा करता हूँ कि फिर से किसी राम , रहीम से चरित्र का , विवेकानंद से युवा , अब्दुल कलाम से व्यक्तित्व का निर्माण इस धरा पर होगा । फिर से विश्व गुरु का सपना हमारा साकार होगा । हर नारी पूर्ण सम्मान , इज्जत की हकदार होगी । फिर से पूछे कोई कि क्या है तुम्हारे देश के पास ? तो फिर से ना किसी "छगन" को शर्मिंदा होना पड़े। मेरे देश के पास भी इतिहास के अलावा गौरवशाली वर्तमान हो, सुनहरा भविष्य हो। आशा है कि उसको जवाब देने के लिए इतिहास से भी ज्यादा वर्तमान का वर्णन हो ।।
कुछ चीजें नहीं हो रही हैं पर होनी चाहिए पर शुरुआत कौन करें ? किसे शांति , सुख , इंसानियत पसंद नहीं पर फैलाने की शुरुआत कौन करें, , ,,?
☆चलो हम शुरुआत करते हैं दामिनी हत्या(बलात्कार) से कलंक मिटाने की, कश्मीर की आग बुझाने की , पाकिस्तान को गले लगाने की।। चलो कोशिशों की शुरुआत करते हैं । चलो चलते हैं दुनिया को शांति का पैगाम पहुँचाने, ,,हम से ही खुद से ही शुरुआत करते, इंसानियत अपनाने की।।
चलो चलाता हूँ दुनिया और भी हैं, ,,उनको अपनत्व, प्यार बाँटने ।। फिर मिलेंगे किसी नई रचना, विचारधारा के साथ ।।।
वैसे आप मुझसे कभी भी मिल सकते हो प्यार के पैगाम, अपनत्व के अहसास , इंसानियत की महक के साथ ।।जय हिन्द ।।
भारत मेरा महान, ,,,,,,,भारत मेरा महान ।।।
#LOVE U ...#LoveToAll
#HowIWillChange but change_it's
#CHHAGAN_CHAHETA
*छगन चहेता
हिन्दुस्तान की हकीकत बँया करने वाली ऐसी तस्वीरों की Google जैसी साइटस् पर कमी नहीं हैं ।
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