Tuesday, 16 January 2018

छगन चहेता की कविता,,,,,,नन्हें खुदा के लिए ....

मेरा नन्हा खुदा-कपिल (भाणेज)Click by LAKHARAM 
कविता 
तेरी खिलखिलाहट , मुस्कुराहट
 पिगला लेती है पत्थर से भी दिल को
पता नहीं क्या जादू है तेरी मुस्कान में ।
आता हूँ थका- हारा घर
 फिर भी तेरी मुस्कान देख खुद को तरोताजा पाता हूँ
तू है वाकई कोई कण चुम्बक का तभी तो सारा परिवार इकट्ठा होता है तेरे परितः
जरुर तू  उथल-पुथल,  घर में उधम मचाता है;
 हर एक व्यवस्था की वाट लगाता है;
 फिर भी न जाने क्यों , तू ही दिल को चैन दिलाता है ।
जब सो जाता है तू, तो घर में शांति नहीं सन्नाटा होता है।
  तू जब ताली बजाकर जोरों से मुस्कुराता है ,
तब चाहता दिल की यहीं थम जाए यह पल
पर जानता हूँ ऐसा हो नहीं सकता,
 प्रकृति को कोई रोक नहीं सकता।
 सच कहूँ मेरे नन्हे खुदा तूने ही तो मुझे जीने का ढंग सिखाया है ।
करूँगा कोशिश की
तेरे बचपन के लम्हें  जीए तू जी भरके
खोने ना दूँगा तेरा बचपन इन स्कूली किताबों में
सिखाने की कोशिश करूँगा हुनर हाथों का
 सीखा न सकुँ न्यूटन, आइंस्टीन के नियमों को
समझा दूँगा खुश रहने के उसूलों को
 पढ़ा दूँगा पाठ  शिष्टाचार , सदाचार , संयम, समझदारी का
 बता दूँगा कि करना है सम्मान सदा हर नारी का।।
                                           * छगन चहेता
नन्हें खुदा से मेरे रिश्ते को दुनिया मामा-भांंजा के नाम
 से भी जानते हैं । धन्यवाद कपिल मुझे खुशनुमा जिन्दगी देने के लिए,,,,दिल से
♡ उस घर में क्या जरूरत पूजा की जहाँ नन्हें बच्चे रहते हो, उनसे थोड़ी देर खेल लो, मिल जाएगी वो खुशी जिसको खुदा भी तरसता हैं ।
♡ बस इसी आशा के साथ चलता हूँ कि कोई अपने बच्चों को आज के शिक्षा की अंधाधुँध दौड़ में ना दौड़ाए , बस उन्हें अपने -पराये की बजाय अच्छे-बुरे में भेद सिखाने की कोशिश करें ।
उन्हें सामाजिक  (मेरा मतलब जातिगत समाज से नहीं है) मूल्य सिखाने की कोशिश करें ।
 "मैंने यह नहीं कहां कि बच्चों को स्कूली शिक्षा ना दे या विज्ञान के नियमों को ना सिखाए परंतु सबकुछ सिखने के लिए नहीं होता,  आधारभूत शिक्षा आवश्यक रूप से दिलाए, आगे बच्चे की रूचि को तव्वजों दी जाए, ,,शायद यह बेहतर होगा बच्चे और हम सब के लिए .....भले ही किसी भी महान व्यक्ति का इतिहास देख लो....बाकी कौन किसी की बात मानता है तो फिर मैं क्या चीज हूँ ।
अंतिम बात अपने बच्चों को नारी का सम्मान करना जरूर सीखाए ...इस बात में कोई तर्क - वितर्क नहीं क्योंकि बच्चे के रूचि को तव्वजों ना देकर आप बच्चे के भविष्य को खराब कर रहें हो हाँलाकी मुझे यह भी कतई पसंद नहीं और नारी सम्मान की शिक्षा ना देकर आप पूरे समाज का भविष्य खराब कर रहें हो ।
¤ हर बच्चे से प्रेम करें क्योंकि बच्चे ही तो सच्चे इंसान होते हैं बतलाओ तो प्यार,  दूत्कारों तो बस मौन, ना नफरत ना द्वेष ।
वैसे बच्चों को डांटने वाले मुझे पसंद नहीं ।।
° ठीक है फिर मिलेंगे किसी नई रचना, नई विचारधारा के साथ
वैसे आप मुझसे कभी भी,  किसी भी समय मिल सकते हो बच्चे सी हँसी,  बच्चे सी अपनीयत के साथ .........#LOVE TO CHILDREN ....LOVE TO SMILE
#LOVE U & #LOVE TO ALL

No comments:

Post a Comment

डायरी : 2 October 2020

कुछ समय से मुलाकातें टलती रही या टाल दी गई लेकिन कल फोन आया तो यूँ ही मैं निकल गया मिलने। किसी चीज़ को जीने में मजा तब आता है जब उसको पाने ...