Saturday, 20 January 2018

मासिक धर्म,,,,पर छगन चहेता कि अपनी बेहतरीन कृति, ,,

मेरी अब तक की सर्वश्रेष्ठ कृति, ,,,,,नारी के रज्जोधर्म / माहवारी / मासिक धर्म पर।।।।।
   
           रज्जोधर्म / महावारी / रज्जोधर्म 
          (कविता )
                                                ~छगन चहेता 
हमने ज्ञान विज्ञान की खोजों से ,
हर एक अंधविश्वास से पर्दा उठा दिया ।
 फिर भी क्यों क्यों ?
क्यों नहीं ,
 नारी की माहवारी से नापाक का धब्बा मिट पाया?
 क्यों संतान उत्पन्न करने  वाले ,
नारी के रज्ज को ही अपवित्र बोल दिया ।
महावारी के चक्र में ,
 महिला को भगवान के दर पर जाने से रोक दिया ।
 क्यों क्यों क्यों ?
 क्यों, जिस अंग विशेष के तत्वों से ,
 हमारे अस्तित्व का निर्माण हुआ ।
उस तत्व को हमने नापाक करार दिया ।
 नीति धर्म की बातों को ,
 हमने भी पढ़ा ,
 गीता कुरान से ,
 धर्म ग्रंथों से ; हम भी वाकिफ है ।
 पर शायद कहीं नहीं था ।
माहवारी पर अपवित्रता का ठप्पा ।
 फिर क्यों क्यों ?
चंद तुच्छ लोगों की तुच्छ सोच को ,
 हम दुनिया वालों ने मान लिया ।
 क्यों क्यों क्यों? 
क्यों नहीं , समझदार कहलाने वाले ,
 महापुरुषों ने ,
 इस मिथ्या को मिटा दिया ?
 महापुरुषों की बातें छोड़ो ,
 क्यों क्यों क्यों ?
 वुमन पावर का टैग रखने वाली ,
 नारी ने भी अब तक है; मौन धरा ?
 क्यों क्यों क्यों ?
 हो रही शर्म ,
 रजोधर्म की बात बताने में ,
 तुम इसी रज्ज विशेष के कारण
 मां बन पाओगी 
ग़र है शर्म
 तुम्हें रजोधर्म से
 तो खुद को पुरुष  कहलाने की
 आदत डाल दो ।
क्यों क्यों शर्म है?
 तुम्हारा वही रज्ज विशेष ही तो है,
 तुम्हारा विशेषाधिकार
 बिन रजोधर्म
 तुम भी हो पुरुष सम्मान ।

जो रक्त, 
 हर मानव के अंग अंग में बहता है 
अगर नारी के अंग विशेष से बह गया 
तो क्यों क्यों क्यों? 
पाक जगह पर नारी की उपस्थिति को ,
निषेध करार दिया ।
अगर मेरी हर दलील तुम्हें झूठी लगती है ।
अभी भी तुम्हें ,
 नारी की माहवारी ; अपवित्र लगती है ।
 तो सुन लो मुझे चाहने वालों ,
 छाती ठोक के कहता हूँ ;
जी,  मैं भी अपवित्र हूँ ।
 क्योंकि ,
 मैं भी किसी स्त्री के अंग विशेष्य से ,
 यूँ कह दूँ, अपनी माँ के अंग विशेष से 
 निर्गत हुआ।
 मैं भी किसी ,
ठीक उसके जैसे ही
किसी रज्ज विशेष से ही
मेरा भी निर्माण हुआ ।
तो, मैं भी अपवित्र हुआ ।
हाँ मैं भी अपवित्र हूँ ।
कि मेरा भी ठीक उसके जैसे ही 
किसी नारी के रज्ज के अंश से 
निर्माण हुआ ।।
            * छगन चहेता 

मुझे नहीं पता कि हमारे समाज में माहवारी या रजोधर्म के समय महिलाओं को अपवित्र क्यों माना जाता है ?
लोग दलीले देते हैं कि धर्म ग्रंथों में लिखा है , पर वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है । बस धर्म ग्रंथों में इतना लिखा है कि महिलाओं को रजोधर्म के समय यज्ञ में नहीं बैठना चाहिए। जिसका कारण पवित्रता जैसा कुछ नहीं है ; बल्कि पुरातन समय में यज्ञ लंबे समय तक होते थे । जिससे महिलाओं को आग के पास ज्यादा समय तक बैठने से तकलीफ ना हो बस यही एक कारण है । जिसे ना जाने कुछ तुच्छ लोगों ने अपवित्रता के रूप में प्रसारित कर दिया ।
आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाएं पैड को अपारदर्शी या ब्लैक पॉलिथीन में पैक करके ले जाती है । इसका कारण है, महावारी को हमने शर्म का मुद्दा बना दिया है । 
जिससे ना जाने कितनी ?  अधिकतर ग्रामीण परिवेश की लड़कियाँ रजोधर्म के शुरू होने के बाद स्कूल या कॉलेज जाना छोड़ देती है ।
 न जाने क्यों ? नारी भी अपने आप को महावारी के समय अपवित्र मानती हैं ।
शनी मंदिर की प्रथा सुनी ही होगी आपने , वैसी ना जाने कितने मंदिर मस्जिद है जहाँ नारी के प्रवेश को वर्जित किया गया है।
 यह सब गलत है  ; पता है , पर इसका विरोध कौन करें ?
 नारी तुम्हें ही करना होगा क्योंकि अन्याय तुम्हारे ही साथ हो रहा । बेशक मुझसे चंद लोग तुम्हारा साथ देंगे पर अगुवाई तुम्हें ही करनी होगी । रजोधर्म को अपवित्र नहीं आपका  विशेषाधिकार मानना होगा।
 हां बता दूँ,  अक्षय कुमार अभिनीत पैडमैन मूवी बहुत ही शानदार है । शायद यह भी एक कदम है इस रूढी को तोड़ने का । 
तो सब कोशिश करते हैं कि यह विशेषाधिकार नारियों के लिए शर्म की बात ना हो ।
कोशिश करें कि किसी बच्ची का स्कूल - कॉलेज रजोधर्म के कारण ना छूटे।
 हमारे टेक्निकल फ्रेंड भी कोशिश करें कि ऐसे पैड का निर्माण करें कि वह सस्ता मिल मिले । एक शोध के अनुसार पैड के अभाव के कारण महिलाओं द्वारा unsafe कपड़ा प्रयोग करने से उन्हें कई प्रकार के रोग होते हैं.,तो यह ना हो ।
इसी आशा के साथ चलता हूँ कि मेरी यह पहल रंग लाएगी,  चंद लोग, नारी - पुरुष भी मेरा साथ देंगे, ,,,देना ही होगा ।
पुरुष दे ना दे नारीयों को देना ही होगा । शर्म या कहूँ अपनी कमजोरी को त्यागना  होगा क्योंकि तखलीफ तुम्हें हैं ।
हाँ, मुझे भी हैं किसी की तखलीफ देखकर । अपनी तो तखलीफ आपने सहन करनी सीख ली पर मुझसे नहीं होती तो आप मुझे साथ दो।
आशा है दोगे , बस करना कुछ नहीं । खुद की रज्जोधर्म की शर्म त्यागों । ये अपवित्र कहने वाले को करारा जवाब दो । अपने साथ होने वाले,  हर अन्याय का खुल कर विरोध करो । बस मेरी मदद हो गई ।। शुक्रिया ।।

 फिर मिलेंगे किसी ने विचार नहीं रचना नहीं करती के साथ।।

 वैसे आप मुझसे कभी भी मिल सकते हो किसी नारी को सम्मान देने के विचार के साथ  , नारी को समानता की नजर से देखने वाली नजर के साथ,,,,,।।

Plz...अधिक से अधिक शेयर करें, ,,,
पहली बार शेयर की अपील कर रहा हूँ ताकि यह प्रथा,  ये नाजायज शर्म,  अपवित्रता का धब्बा मिट जाए, ,,कुछ मेरा काम भी हो जाए,,,so plz. शेयर करें, ,,,,
  Love to AL
                            * छगन चहेता 

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