Friday, 16 February 2018

वाकई खुशी कहीं खो गई है ? - छगन चहेता

नहीं , बस हमारा नजरिया बदल गया है और हम खुशी के लम्हों को नजरअंदाज करने लग गए हैं ।
नहीं तो देखो खुशी के कितने पल आते हैं , हमारी जिंदगी में -
☺ tv चैनल खोलते ही पसंद के सीरियल या फिल्म का आना।
☺ बाजार में घूमते कहीं बचपन के दोस्त का अचानक मिलना।
☺ बहुत देर तक लाइट नहीं है और मैच शुरु होते ही  लाइट का आना।
☺ छुट्टी वाले दिन देर से उठना ।
☺घर की सफाई में, खोई किसी प्यारी चीज का मिलना।
☺ बस स्टॉप जाते ही बस का आ जाना ।
☺संवरने के बाद दर्पण में देख कर मुस्कराना ।
☺कड़ी धूप में किसी का लिफ्ट देना।
 इन खुशियों के लम्हों की लिस्ट लंबी है ।
क्या आपकी जिंदगी में ऐसे पल नहीं आते ? आते हैं ना । फिर भी आप खुश नहीं होते क्यों , पता है? आप हमेशा बड़ी-बड़ी , बहुत बड़ी-बड़ी खुशियों की तलाश में रहते हो। जैसे बड़ा सा घर , बडी सी गाड़ी,  मोटी सी सैलरी  आदि । ये सारी खुशियाँ बड़ी मुश्किल से मिलती है और इन्हें हासिल करते-करते हमारे चेहरे पर इतनी सरवटे पड़ जाती हैं कि यह सब मिलने पर भी हमारे चेहरे की मुस्कुराहट , सलवटो में से दिखाई भी नहीं देती । किसी दार्शनिक  ने कहा था कि "छोटी-छोटी खुशियों का लुफ्त उठाइए क्योंकि जिंदगी में आगे बढ़ने पर  कभी पीछे मुड़कर देखोगे तो तुम्हें इन नन्ही - नन्ही  खुशियों का ढेर दिखाई देगा।"
 हमारे जीवन में दुख आते है, किसी को खोने पर, किसी से बिछड़ने पर । जाहिर सी बात है , दुख होगा क्योंकि हम भावनात्मक प्राणी हैं.... पर इतना भी दुख को दिलो-दिमाग पर मत चढ़ने दें कि होठों से मुस्कान ही गायब हो जाए ,  दिल के अरमान , ख्वाब सब खत्म हो जाए । कहते हैं ना कि "समय हर दर्द की दवा है।"
 राम ; सीता से बिछड़ कर भी रहे थे ना , राधा ; कृष्ण से बिछड़ कर भी जीते थे ना ।   जब हर संभव कोशिश नाकाम हो तो उसे भूलना ही बेहतर है इसी में खुशी है ।  जब सामने वाला भी आँखें चुराए तो दिल को यह समझना ही चाहिए कि यह नहीं तो और सही और नहीं तो कोई और सही ।
यह छोटी-छोटी बातें ही एक दिन खुशी का द्वार खोलेगी । किसी एक से नजर हटा कर  तो देखो दुनिया कितनी खूबसूरत हैं , कितनी प्यारी है ।
बस अकेले में हँस कर  तो देखो,
 भीड़ में मुस्कुरा कर तो देखो,
 बचपन का बचपना दोहरा कर तो देखो,
 मैं सच कहता हूँ,  यही फंडा है जीने का ।
 क्या है ना कि हम  कुएँ के मेढ़क है जो कुएँ को ही दुनिया समझते हैं , कभी बाहर निकल कर तो देखो समुंद्र भी तो है,,,,,, आ जाईये, ,,।
 चलो अब समुंदर में आ गए हैं तो क्यों ना , आज के पहले की सारी बुरी यादें , जो भगवान(वो यहाँ भगवान को दोष इसलिए दिया कि मनुष्य को दोष देकर हम किसी को नाराज नहीं करना चाहते) ने हमें तकलीफे,  दुख दिए हैं, उनको भूलकर बस खुशी के पल , थोड़े ही सही ; समेटकर अब से खुशियों का सफर शुरू करें । जिसमें हमसफर भले बदले परंतु हमेशा मुस्कुराहट  साथ हो , क्योंकि मैंने कहीं धर्म ग्रंथ में पढ़ा था कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य संपूर्ण सुखों की प्राप्ति करना ही हैं ।

                             *छगन चहेता


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