Sunday, 5 August 2018

एल्बम : दिल के दीवार की

Picture background- राजस्थान के खजुराहो,,,किराड़ू मंदिर , बाड़मेर
Click by LAKHA RAM
नया सत्र शुरू हो चुका था । कक्षा में नये चेहरे आ रहे थे कई पुराने चेहरे गायब हो रहे थे । ऐसे ही माहौल में, वो लड़का ज्यों ही कक्षा में प्रवेशित हुआ, एक नये चेहरे से टकरा गया। जुबान से sorry व लबों से अनबनी मुस्कान के साथ अपनी-अपनी दिशा की ओर चलते बने ।
वो बैठने के बाद तब तक उस नये चेहरे को टकटकी लगाए देखता रहा जब तक कि मास्साब(अध्यापक) के चाॅक का टुकड़ा उसके 0.75 D वाले चश्मे से ना टकराया ।
"बेटा श्यामपट्ट इधर है ।"
ना, ना जी इश्क़-विश्क जैसा कुछ नहीं । पहली नज़र वाले प्यार की थ्योरी उसे वैसे भी समझ ना आती, ना ही वो चेहरे से मोहब्बत करने वालों में से हैं ।
उसे तो ऐसे ही नये चेहरों को गौर से देखने की अज़ीब सी आदत है लेकिन आज उसकी नजरें उस चेहरे पर कुछ ज्यादा ही स्थिर हो गई ।
उसकी नजरों को उस चेहरे की तलब बढ़ती गई ।
लंच के लिए ब्रेक हो चुका था मगर वो वहीं बैठा रहा ,,,मोहतरमा जो वहाँ थी ।
शायद आँखों की प्यास ने पेट की आग को बुझा दिया था।
एक दोस्त ने उससे मिलवा भी दिया ।
उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा "आई एम जिज्ञासा "
नाइस नेम ,
उसने , अपना भी परिचय दिया ।
काफी कुछ दोस्त ने; लड़के को नये चेहरे के बारे में, नये चेहरे को उस लड़के के बारे में बताया लेकिन,, वो बस उसे देखता रहा ।
बाय ! कह कर, दोनों चल दिये ।

वह काफी देर वहाँ खड़ा रहा ,,,,, वह चाहता था कि किसी दिन उसे गिटार बजाकर सुनाए और देर तक सुनाए,,, चाहे तो अकेले नहीं तो सरेआम सुनाए,,,।
उसे फर्क नहीं पड़ता कि गिटार के रोमांटिक गाने की धुन पर वो किसी और के ख्वाब बुने , उसे फर्क नहीं पड़ता कि वो गिटार सुनते सुनते किसी और के कंधे पर सो जाए।
वो तो बस यूँ ही ना बुझने वाली प्यास के साथ उसे निहारना चाहता था ताकि उस चेहरे के बहुत से चित्रों की एल्बम बनाकर अपने दिल की दीवार पर लटका सके ।
छगन चहेता ©
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