Saturday, 28 July 2018

अतीत का दोहराव ?


आसमां में बादल थे , उमस कुछ ज्यादा ही थी । बदन पर चिचिपाहट महसूस हो रही थी लेकिन वो इन सबसे दूर कही और था ।
छोटी-छोटी जो बूंदे गिर रही थी वो तो महसूस कर रहा था लेकिन उसके सिवाय वर्तमान की तमाम चीजों को नजरअंदाज किये किसी अतीत की धुंधली तस्वीर लिए,, मंद मंद मुस्कुरा रहा था शायद कोई हसीन लम्हे को याद कर रहा था ।
तभी तेज होती बारिश ने उसे जगाया । चाहा कि भीगता ही रहूँ लेकिन,,,,,?
अतीत को दोहराने की कोशिश करों तो अतीत अपनी पहचान खो देता है ,,, उसमें नयापन आ जाएगा,,, फिर उसकी याद इतनी मोहक नहीं होगी ।
वो छत पर ही बने कमरे की ओट में आकर बारिश देखने लगा ,,, गिरती बूंदो से पनिहारी बन रही थी जो मानों बुला बुला के कह रही हो कि आओ,,, मेरे साथ तुम भी झूमों,,, मैं भी अतीत को दोहरा रही हूँ फिर तुम क्यों डरते हो ।
इतने में एक हवा का झोंका आया जिसने उसे पूरी तरह से भीगो दिया,,, अब अतीत की धुंधली तस्वीर साफ हो गई थी ,,,
वो किसी अतीत को याद कर नहीं वर्तमान के हसीन लम्हे को जी रहा था ,,,,,
अतीत की उस हसीन तस्वीर के साथ एक और तस्वीर रख ,,कोई गाना गुनगुनाते हुए नीचे चला गया ।
छगन चहेता ©

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