कलमकार ने संगीतकार बनने की कोशिश कर रहा है बस अपने लिए, ,,, अच्छा ना तो ना सही तार तो छेड़ ही लेते हैं । click by LAKHA RAM |
आप लिखते हो तो वाहवाही के साथ - साथ, बहुत सारे सुझाव भी आते हैं । मुझे इन सब से बहुत प्यार है । ऐसे ही एक सुझाव पर मेरी प्रतिक्रिया, ,,,
कुछ लोग कहते हैं 'जनाब कभी इश्क, मोहब्बत से भी उठकर लिखा किजिए ।'
जरूर लिखेगें मगर अब तो मोहब्बत लिख लेने दो, जो कह रहा वक्त, उसकी तो सुन लेने दो ।
जब चेहरे पर सख्त बाल होंगे । उनसे सफेदी झांकने लगेगी तब जरूर दर्शनशास्त्र झाड़ेगे ।
मगर अब तो लड़कपन के सपनों को संवारने दो , जो हैं हकीकत उससे दो - दो हाथ कर लेने दो ।
जब लगेंगे कमाने, बढ़ेगी जरूरतें तब जोर - शोर से लिखेगें, महँगाई पर ।
जब घर जाने की जल्दी होगी, सड़कों पर ट्रेफिक सतायेगा । तब लिखेगें ना शहर की माली हालात पर लेकिन अब मस्त - मौला हैं । जल्दी का ना कोई सिलसिला हैं । शोर - शराबे में भी , मन किसी और धुन में रमा हैं तो क्यों ना इसे ही जीने दो ?
आयेगा समय जब रेड लाईट होने से पहले निकले की कोशिश करेंगे मगर अब ट्रेफिक लाईट पर रूक अपनी बेपरवाह जिंदगी को लिख लेने दो ।
रातों में उबासीयाँ आयेगी, नींदे आँखों पे पहरा लगाएगी मगर फिक्र सोने नहीं देगी तब लिखेगें हर समस्या को ।
अब महब्बूबा की यादों तले , नींदे हवा हैं, रातों में भी जागने में मजा है तो महसूस कर लेने दो इस अद्भुत आनंद को ।
जो वक्त हर किसी के जीवन से बस यूँ ही गुजर जाता है तो किसी एक को , भरपूर जी लेने दो ।
तरस हमें भी आता हैं । भूखे - प्यासे बच्चों और बिलखती जनता पर । विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी कलम उनकी हमसफ़र बनेगी, उनकी समस्या के लिए तलवार बनेगी लेकिन बस चंद पलों के लिए कंघी बन हमसफ़र की जुल्फ़े संवारने दो । तन्हा गुजर रही जिनकी रातें, उनके ख्वाबों को पर लगाने दो ।
जो यह शिक्षा व्यवस्था की बिगड़ी हालत हैं । सुधारने की पुरजोर कोशिश करेंगे मगर अभी तो काॅलेज के सुनहरे मौके को भुनाने दो ।
मोहब्बत का पड़ाव है इस पड़ाव में जी भरके ठहरने दो ।
बहुत हैं जमाने में गिराने वाले, एक हाथ है जो थामना चाहता हैं मुझे । बस उसे खोज लेने दो ।
हाँ, आईना धुँधला है । फिर भी एक चेहरा दिख रहा है उसे दिल भर के निहारने दो ।
जब तक पतंग की डोर मात - पिता के हाथ में है तब तक हवा के विपरीत उड़ लेने दो । डोर कटने के बाद तो हवा के रूख के साथ उड़ना ही हैं ।
मैं तो कहता हूँ कि आप भी....
उम्र ढ़ल गई तो क्या ? बालों से सफेदी झाँकने लगी तो क्या? दौर गुजर गया तो क्या ? फिर से दिल हरा करके तो देखो ।
मुझे नहीं पता आपका मोहब्बत, प्रेम से क्या अभिप्राय हैं ? मोहब्बत खुद से , खुद की जिंदगी से भी तो की जा सकती है, जिससे थी कभी हमें , वापस उससे भी तो की जा सकती है ।
प्रेम भौतिक सुख से परे आत्मीय सुख है जिसे बस महसूस किया जा सकता है, भोगा नहीं जा सकता ।
जब हम समस्याओं के बारे में लिखेंगे तो उसमें बातें होगी हिंसा, अपराध और द्वेष की जो यूँ ही पढ़ने को बहुत मिल जाता है ।
समस्याओं के समाधान के लिए किसी एक पक्ष में उतर जाना पड़ेगा। वह हमें मंजूर नहीं ।
मोहब्बत हैं बेपक्ष ; इधर भी हैं, उधर भी हैं । इसके, उसके ...हरेक के सीने में है । बस हालफिलहाल उसे लिख लेने दो।
कभी वक्त निकालकर सोचना कि सब प्रेम, मोहब्बत से सरोबार हो जाये तो कितना मजा आए इस जमाने को जीने में ।
जिसे जोड़ दिया बस तन की हवस से , उसे बिन हवस के महसूस किया जाए तो कितनी खुशी होगी जीने में ।
शायद यही वो मोहब्बत हैं, जो मैं आजकल महसूस करता हूँ, जिस के लिए लिखता हूँ, , जिनमें ना गम , ना बिछड़न । बस मोहब्बत, मोहब्बत और मोहब्बत ।
प्यार, प्यार हर किसी का प्यार ; हर किसी से प्यार ।।
जिसका कोई अन्त नहीं, ,, बस सतत्, निरन्तर । बिना रुके ,,,,जो ख्वाब नहीं, ख्याल नहीं , हकीकत है । हर किसी को दिखती नहीं, हमें सच को देखने की आदत जो नहीं हैं ।
खुद की हकीकत , खुद में ही हैं ।
दिल में झांक कर देखों, तुम्हारी हकीकत भी प्यार ही है ।
हर किसी की हकीकत है बस प्यार, मोहब्बत, प्रेम या ऐसा ही कुछ । नहीं, नहीं यही, ,, प्रेम, आलौकिक प्रेम, निश्छल प्रेम ।
बस हर किसी से प्रेम । हर चीज से प्रेम । हकीकत से प्रेम ।।
बस प्रेम, प्रेम और प्रेम, ,,,और कुछ भी नहीं .....
* छगन चहेता
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