वक्त, वक्त पर बदलता रहता है ।
कभी इसका, कभी उसका होती रहता है ।।
जवानी के सपने में भी ,
मुहब्बत का दर्द देता रहता है ।।
सुनहरे बालों को सफेद करके ।
वक्त, वक्त पर रंग बदलता रहता है ।।
हमें जिन्दगी की भूलभुलैया में फंसा ,
खुद निकलता रहता है ।।
इंसा से सबकुछ लुटके भी ,
सरेआम, ये घूमता रहता है ।।
कहते हैं , बड़ा किमती है वक्त ,
मगर ये तो यूँ ही गुजरता रहता है ।।
माना ठहरना फितरत ना तेरी ,
मगर इंसान को क्यों भगाता रहता है ।।
कौन हैं ये ईश्वर, अल्लाह
ये वक्त ही हैं जो बनाके , बिगाड़ता रहता है ।।
चुप क्यों 'छगन' तू रहता है ।
तेरा वक्त भी तो कुछ कहता रहता है ।।
* छगन चहेता
कभी इसका, कभी उसका होती रहता है ।।
जवानी के सपने में भी ,
मुहब्बत का दर्द देता रहता है ।।
सुनहरे बालों को सफेद करके ।
वक्त, वक्त पर रंग बदलता रहता है ।।
हमें जिन्दगी की भूलभुलैया में फंसा ,
खुद निकलता रहता है ।।
इंसा से सबकुछ लुटके भी ,
सरेआम, ये घूमता रहता है ।।
कहते हैं , बड़ा किमती है वक्त ,
मगर ये तो यूँ ही गुजरता रहता है ।।
माना ठहरना फितरत ना तेरी ,
मगर इंसान को क्यों भगाता रहता है ।।
कौन हैं ये ईश्वर, अल्लाह
ये वक्त ही हैं जो बनाके , बिगाड़ता रहता है ।।
चुप क्यों 'छगन' तू रहता है ।
तेरा वक्त भी तो कुछ कहता रहता है ।।
* छगन चहेता
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