भले कर लूं मजाक हर किसी का
पर किसी का मजाक उड़ाना नहीं आता
दिल लगा लूं
पर किसी के दिल से खेलना नहीं आता
चाहो जितना झुका लो मुझे
पर किसी की गुलामी करनी नहीं आती
बेशक हर मौके का फायदा उठाता हूं
मगर किसी की मजबूरी का फायदा उठाना नहीं आता
किसी की तकलीफ सहन नहीं होती मुझसे
सुन तकलीफ दिल में दर्द सा होता है
हर गम को भुला मुस्कुराने की वजह दे देता हूं
यही आदत है मेरी या कहो मजबूरी है मेरी
हर किसी की फिक्र करता हूं
पर किसी के दिल में दखल अंदाज नहीं करता
किसी की भाषा को समझूं न समझूं
हर एक दिल का जज्बा समझता हूं
हर किसी के लिए दुआ मांगू ना मांगू
पर किसी की बद्दुआ के लिए यह हाथ उठ नहीं सकता
हर किसी का सम्मान करूं ना करूं
पर किसी का अपमान कर नहीं सकता
भूल जाता हूं हर जख्म
पर किसी का दिया खुशनुमा एक लम्हा भी भूल नहीं पाता
भूल जाए हर कोई मुझे गम नहीं
पर मैं किसी को भी भूल नहीं सकता
हर किसी से इश्क कर तो नहीं सकता
पर किसी से नफरत करनी नहीं आती
किसी की नजर में अच्छा इंसान बनुं न बनुं
पर अपना ईमान खो नहीं सकता
कोई मुझे अपना समझे ना समझे
पर मैं किसी को पराया समझ नहीं सकता
यही है शख्शियत मेरी
यही है खासियत मेरी
जिंदा दिली कहो या पागलपन का दौरा मेरा
. * छगन चहेता
Special thanks to my sister. ...जिन्होंने मेरे व्यक्तित्व को सराहा जिससे इस कविता का सृजन हुआ ।। Thanks my sister POONAM CHOUHAN
पर किसी का मजाक उड़ाना नहीं आता
दिल लगा लूं
पर किसी के दिल से खेलना नहीं आता
चाहो जितना झुका लो मुझे
पर किसी की गुलामी करनी नहीं आती
बेशक हर मौके का फायदा उठाता हूं
मगर किसी की मजबूरी का फायदा उठाना नहीं आता
किसी की तकलीफ सहन नहीं होती मुझसे
सुन तकलीफ दिल में दर्द सा होता है
हर गम को भुला मुस्कुराने की वजह दे देता हूं
यही आदत है मेरी या कहो मजबूरी है मेरी
हर किसी की फिक्र करता हूं
पर किसी के दिल में दखल अंदाज नहीं करता
किसी की भाषा को समझूं न समझूं
हर एक दिल का जज्बा समझता हूं
हर किसी के लिए दुआ मांगू ना मांगू
पर किसी की बद्दुआ के लिए यह हाथ उठ नहीं सकता
हर किसी का सम्मान करूं ना करूं
पर किसी का अपमान कर नहीं सकता
भूल जाता हूं हर जख्म
पर किसी का दिया खुशनुमा एक लम्हा भी भूल नहीं पाता
भूल जाए हर कोई मुझे गम नहीं
पर मैं किसी को भी भूल नहीं सकता
हर किसी से इश्क कर तो नहीं सकता
पर किसी से नफरत करनी नहीं आती
किसी की नजर में अच्छा इंसान बनुं न बनुं
पर अपना ईमान खो नहीं सकता
कोई मुझे अपना समझे ना समझे
पर मैं किसी को पराया समझ नहीं सकता
यही है शख्शियत मेरी
यही है खासियत मेरी
जिंदा दिली कहो या पागलपन का दौरा मेरा
. * छगन चहेता
Special thanks to my sister. ...जिन्होंने मेरे व्यक्तित्व को सराहा जिससे इस कविता का सृजन हुआ ।। Thanks my sister POONAM CHOUHAN
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