Saturday, 25 November 2017

छगन चहेता का लेख, ,,"दोस्ती, ,,,,"

यह है मेरी अच्छी गैंग,,,

दोस्त, दोस्ती ये मामूली शब्द लगते हैं लेकिन हर किसी के जीवन में बहुत मायने रखते हैं । कहते हैं कि इंसान दोस्त अपनी इच्छा से बनाता हैं लेकिन यह सच नहीं है बिल्कुल नहीं । शादी के जोड़े भगवान बनाता हैं की नहीं पर दोस्त जरूर भगवान ही बनाता हैं । किसी के चाहने से दोस्त नहीं बनते।

  मेरा अनुभव शेयर करूँ, मुझे उससे दोस्ती अच्छी लगती है, हम अच्छे दोस्त भी थे, लेकिन अब चाह कर भी नहीं है क्यों?  यही की हमारी प्रकृति अलग हैं मतलब आगे समझ आएगा । पास पास ही रहते हैं फिर भी कभी कभार ही मिलते हैं, कोई मतभेद नहीं बस यूँ ही।
   
         जिंदगी में कितने लोग मिलते हैं, अपनी जिंदगी का ना जाने कितना समय उनके साथ बितता हैं । फिर भी वे हमारे अच्छे दोस्त नहीं बन पाते और दूसरी तरफ राहो की चंद समय की मुलाकात में घनिष्ठ मित्र ,हमसफर बन जाते हैं । कभी सोचा क्यों? कोई तो ऐसी अनजानी शक्ति होती हैं जिसके कारण कहीं से भी हमारी प्रकृति का दोस्त हमको मिल ही जाता हैं ।

   कभी आप हाथ बढ़ाए और सामने वाला दोस्ती से इनकार कर दे तो परेशान मत होना, अपने आप में कमी मत ढुढ़ना कि कुछ खोट हैं हममें बल्कि chemistry याद रखना, समान - समान को ही घोलता हैं । आपकी और उसकी प्रकृति अलग हैं खोट किसी में नहीं । मिल जाएंगे अच्छे दोस्त बिन खोजे ही बस इन्तजार किजिए। निराश ना होना,  बस हताशा ना होना ।

       हम माता, पिता, भाई, बहन, पति, पत्नी हर सामाजिक रिश्ते के कर्जदार होते हैं लेकिन दोस्ती एक ऐसा बंधन हैं जिसमें पसंद आए तो हाय! नहीं तो बाय!
   यदि हम दोस्ती कृत्रिम रूप से करेंगे तो साथ तो होगा, टाइम पास भी होगा पर वो बात नहीं होगी, भावनाओं का समान नहीं होगा । ऐसे लोग  use  करेंगे, मतलबी होंगे । जैसे राजनीतिक दोस्त होते हैं । फिर अंत में सिर्फ हमें पछतावा मिलता हैं ।

      दोस्ती उसी से करो जिससे होती हैं, करनी नहीं पड़ती हैं, जिसमें दिमाग चुप और दिल सोचें; जिसमें बोलने से पहले यह सोचना ना पड़े कि दोस्त नाराज तो नहीं होगा । जिसमें दोस्त से मिलने जाए तो दर्पण देखकर यह विचार ना आए कि दोस्त के सामने अच्छा दिखुँगा की नहीं । दोस्ती वो होती हैं जिसमें टुटने का विकल्प ही ना हो। दोस्ती कैंटीन में नाश्ता करवाने से नहीं होती, दोस्ती वो होती हैं कि चल तू भूखा हैं तो मैं भी नहीं खाता । तू पैदल हैं तो मैं भी गाड़ी से नहीं जाता ।

                        * छगन चहेता


और भी कुदरती दोस्त हैं मेरे लेकिन हम कभी एक साथ, कैमरे की एक ही फ्रेम में नहीं आए,,,,क्यों? 
क्योंकि उनसे बातें करने से ही फुर्सत नहीं मिलती ।
My all natural friends...love you

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