Friday, 21 December 2018


आधी से ज्यादा रात ढ़ल चुकी थी मगर आँखों से नींद का स्पर्श मात्र नहीं हुआ था । ऐसा रोज ही , कई रोज से होता आ रहा है ।
कमरे में स्याह अँधेरे के साथ उदासी भी छाई हुई थी । हाथ के मोबाईल फोन में सबकुछ रंगीन होकर भी फीका-फीका सा था ।
उसे घुटन सी महसूस हुई वो कमरे से निकल, छत पर आ गया । आसमान के श्याम पटल पर टिमटिमा रहे तारों को चिढ़ाता चाँद भी चाँदी बिखेर रहा था ।
उसने चाँद को निहारा जिस पर कुछ धब्बे दिखाई पड़ रहे थे । जिसके बारे में बचपन में सुना था कि वहाँ एक बुजुर्ग माँ रहती है जो अभी दही मथ रही है तथा पास में बकरी बंधी है जो सोने की पोटी(मिगणीयां) करतीं हैं । हालाँकि इस रोमांचक दृश्य को किताबों ने ख़ारिज कर दिया और उसे मात्र गड्डे कहा गया ।
कभी कभी इस ज्ञान का होना भी दुखद लगने लगता है ।

उसे लगा कि चाँद उसे पूछ रहा है कि "तुम्हें किसी से प्यार है क्या ? "
वो बगले झाँकने लगता है लेकिन चाँद का बिंब उसे फिर आकर्षित करता है और पूछता है कि "चुप क्यों हो ? "
उसे मन होता है कि वो दौड़कर नीचे चला जाए और रजाई में दुबककर सो जाए लेकिन नहीं, वह वहीं रहता है चाँद को बिना देंखे ।
दूर से श्वानों की आतीं आवाज के सिवाय वहाँ मौन और उदासी का ही पहरा था ।
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, अब तक चाँद आसमान के आग़ोश में समा चुका था अब बचा था काला आसमान और चमकदार सितारे ,,, जिन्हें देखकर वो जरा सा मुस्कराया और कहा " ओ! काले आसमान और स्वर्ण सितारों, अब मैं तुम से बतियाता हूँ ।
हाँ तो सुनों , मुझे प्यार है और बेहद ही गहरा प्यार है जिसका अहसास कुछ यूँ होता है कि वो जब साँस लेकर छोड़ती है तो उसकी ऊष्मा मानो मेरे बदन को गर्म कर देती है तभी इस सर्द रात में खुले आसमान के नीचे खड़ा हूँ ।
उसके घर की तरफ से आती हवाएँ मुझे सहलाती हुई जाती है मानो उसकी छुअन मुझे दे रही हो और साथ में महक का अहसास भी ।
हाँ, ये उसके बदौलत पाई उदासियाँ भी मेरे पहरे के लिए हैं जो मुझे अडिग रखती है,,,, भ्रम जाल में फंसी दुनिया में फंसने से रोकती है ।
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और भी कई बातें हुई,,
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चलो दोस्तों! (आसमान और सितारे) अब मुझे नींद आने लगी है यकीनन वो भी सो गई होगी और इश्क़ में यकीन के बाद शक की गुंजाइश नहीं रहती,,,, शब-ब-ख़ैर,,।
,,, वह नीचे आया और सोते वक्त सोशल मीडिया पर बैठे आनलाईन आशिकों की मण्डली पर मुस्कान फेंक कर ,,,,, रजाई में दुबक गया,,,, जाने कितने ख़्वाब इंतज़ार में होगें, उन्हें भी तो मुकम्मल करना था न ।।

छगन कुमावत "लाड़ला"©


{तस्वीर:किसी शाम मेरे द्वारा ली गयी ।}

Thursday, 6 December 2018

पलायन


अंजू ने अपना थैला गोद में लेकर बैठते हुए पूछा "और जनाब, आज आशिकी में इतना कैसे डूबे गये ।
मैं चौंका, किसकी आशिकी में ? नहीं तो ।
आपकी मासूका उदासी की आशिकी में और किसकी ।
नहीं, सोच रहा था कि हम आने वाली पीढ़ी को विज्ञान की तमाम उपलब्धियों के अलावा क्या देंगे । जैसे हमें राधा-कृष्ण मिलें वैसे हम उन्हें क्या देंगे ?
अरे! एक सिरे से बात बताओ यार ।
हाँ तो सुनो । आज काॅलेज में, मैंने देवा से एक लड़की के बारे में पूछा कि ये कौन है ?
देवा ने कहा "ये उस प्रीतम की 'आइटम' है तुझे नही पता क्या ? "
'आइटम' शब्द कितना ओछा है न । ऐसे लगता है कि कोई बाजारू चीज़ के बारे में बात हो रही है जिसका उपभोग मात्र ही उदेश्य रहता हो ।
हमारी भाषाओं के पास कितने खुबसूरत शब्द है । मासूका, प्रेमिका, महबूबा और भी , जिसके उच्चारण मात्र ही भावनात्मक जुड़ाव उत्पन्न होता है ।
कितना दुखद है न कि हम किसी के भाई, पुत्र होकर भी पुरूष नहीं हो पाए अब तक ।

अच्छा, अंजू तुम्हारी इन चीजों के बारे में क्या राय है ?
मेरी राय क्या होनी है, कुछ भी नहीं लेकिन ये सब अच्छा मुझे भी नहीं लगता बल्कि बहुत भद्दा महसूस होता है ।
अब चिंता को परे रखो और चाय पीकर घर को चलते हैं ।
हम पार्क के कोने की थडी पर जाकर बैठ गये और दो चाय मंगवाकर, मैंने थडी पर लगी छोटी सी टीवी के स्क्रीन पर नजरें टिका दी । जिसमें दिनभर की न्यूज बुलेटिन आ रही थी । उसकी 99 वीं खबर ने हम दोनों को चौंकाया जो यह थी " शाहरुख की फिल्म में सन्नी लियोन करेंगी 'आइटम' सॉन्ग " ।
अंजू ने घायल नजरों से मुझें देखा और उसके चेहरे पर अनजाना सा कोई भाव आ गया ।
अंजू, हमें यहाँ से पलायन करना होगा । हमें क्या हर उस इंसान को पलायन करना होगा जिसे प्यार कि ज़रूरत हो ।
आने वाली पीढ़ी को यह दुनिया देना घातक होगा, उन्हें प्यार से सरोबार दुनिया देनी होगी, ये हमारी ही जिम्मेदारी है ।
अंजू ! कितना मजेदार होगा न , यहाँ रहते हुए यहाँ से पलायन पर रहना ।
चाय के गिलास हमारे हाथों में आ चुके थे और हम ढ़लती शाम की जल्दी को छोड़ इत्मीनान से चाय की चुस्कियां ले रहे थे जैसे यहाँ से पलायन कर चुके हो ।

छगन कुमावत "लाड़ला"©

{ तस्वीर जंतर मंतर की है }
[चलना कभी तुम भी, इन तन्हा बेंचों पर बैठ कुछ वक़्त संवारेगे]

डायरी : 2 October 2020

कुछ समय से मुलाकातें टलती रही या टाल दी गई लेकिन कल फोन आया तो यूँ ही मैं निकल गया मिलने। किसी चीज़ को जीने में मजा तब आता है जब उसको पाने ...