Thursday, 8 November 2018

चंद पल,,

तस्वीरें  बस मौन बँया करती है,,
Click by LAKHA RAM 
"बिखरे ख़्यालों में न जाने कौनसा ख़्याल टीस दे जाए, न जाने कौनसा अन्दर तक गदगद कर दे ।"
वो आगे के सफ़र के लिए रेलगाड़ी के इंतजार में प्लेटफार्म पर टहल रहा था । वक्त जाया करने के जुगाड़ में कई अनजाने चेहरों से बातें भी हुईं होगी, ठहाके भी लगें होगें जिसमें से ठीक-ठीक कुछ भी याद नहीं लेकिन वो चंद पल उसे याद है जस के तस ।
वह उस लड़की के सामने से गुजरा तो वह मुस्कुराई । उसने चारों तरफ देखा कि वह उसकी ओर ही मुस्कुरा रही है । थोड़ा ठहरकर वह भी बेढ़ग सा मुस्कुराया और चेहरा झुकाकर आगे बढ़ा, काफ़ी आगे जाने के बाद मुड़कर देखा और बहुत आगे चला गया जहाँ से उसे देख भी न पाए ।
उसने चाहा क्यों नहीं कि वो उसके सामने की बेंच पर बैठ जाए, वक्त है तो ठहर जाए ।
वह वहाँ से फ़ौरन निकला क्योंकि उसे बस मुस्कुराहट अपने ज़ेहन में कैद करनी थी । चेहरा या उसकी कोई और भाव-भंगिमा को आड़े नहीं आने देना चाहता था ।
वो चंद पलों के इश्क़ को अनंत समय के लिए लेकर चला आया ....
वो भाषा, व्याकरण के परे प्यार और मोहब्बत में भिन्नता प्रदर्शित करता रहा है जिसकी बदौलत वो उस लड़की से हर इंसान की भाँति प्यार करता है और उसकी उस मुस्कुरान से मोहब्बत करता है जिससे खुद को ऊर्जावान बनाता है ।

प्यार के इतर किसी इंसान से इश्क़ करना,,, इस पर वो चुप है, मौन है मगर भावनाओं, अहसासों से बेइंतिहा मोहब्बत है जिसे यदा-कदा लिखता रहता है बेढ़गी श़ेर-ओ-शायरी में ...


छगन कुमावत "लाड़ला"©

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