Monday, 30 October 2017

छगन की शायरी

महफिल में भले हमें भुला देना यारो।
गर आ जाए गम तो 'छगन' को बुला देना ।।
                                  * छगन चहेता

किसी को खुद से गिला हैं,
किसी को खुदा से,
एक तु ही है जिसे हम से गिला है।।
                               * छगन चहेता

होता पता कि दुनिया को दिल नहीं चेहरा भाता है।
तो हम भी रिश्वत दे, खुदा से चेहरा सजा आते ।।
                                    *छगन चहेता

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