Thursday, 23 August 2018

बहना,,,,(कविता)

बहन "जमना" के लिए छोटे भाई की एक नन्हीं पेशकश,,
परवाह नहीं कि कभी तेरी,

नहीं पता था कि इस मासूम को कि तुम हो इस आँगन की चिडिया ,

जिसे उड़ा देंगे ये अपने ही सारे ।

रोज तुम्हें ससुराल के ताने दे देकर चिढ़ाते थे ।

पर क्या मालूम की यूँ चली जाओगी बैंड बाजों के साथ ।

जिस दिन तुम छोड़ चली हो पिया के घर , सुनी रह गई आपके बाबुल की चौखट ।

इंतजार रहता है तेरे आने का हर रक्षाबंधन पर,

पर जब तुम नहीं आती,
 
तो कितनी सुनी लगती है मेरी कलाई ।

जब तुम यहाँ थी तो राखी बांधना, तिलक लगाना सब दिखावा लगता था ,

अब चला पता कि ये सब कितना सुहाना होता था।

था नहीं पता कि कभी ये दिन भी आयेंगे ,

अपने बाबुल के घर कितने दिन रहना है ये पहले ही बता दिये जाएंगे ।

खैर, दुनिया के रस्मों को निभाना तो पड़ता है,

छोटे कि दुआ यही है बहना , खुश रहो संग अपने पिया ।

आये ना आफत कोई, घर तेरे बहना।

कह तो दिया पर सच कहूँ तेरी बहुत याद आती है, तेरी बहुत याद आती है ।

नहीं पता कि क्यों तुम्हें ही रस्मों की अदायगी में,

हमें छोड़ ससुराल जाना पड़ता है ।

बहन को अपने ही भाईयों से जुदा होना पड़ता है ।

गर होता पता कि एक दिन तुम ससुराल चली जाओगी तो नहीं सताते तुझे, कभी नहीं सताते तुझे,,

तुम चली गई हो घर पिया के ,,,,

बहना तेरी बहुत याद आती है,,,

हम सबको तेरी बहुत याद आती है ।।

छगन चहेता ©
[मेरी इस कविता  का "युव वाणी कार्यक्रम, मालाणी रेडियो स्टेशन " पर भी  वाचन हो चुका है।]

Tuesday, 14 August 2018

धर्म:मानव को मानव बनाए रखने की भावना है,,,,

भादरेश गाँव का शिव मन्दिर का दृश्य,,, click by थानेश कुमावत,,,7 अगस्त 2018
धर्म : बचपन से धार्मिकता से ही घिरा रहा । कहानियाँ, किस्से कुछ भी सुने , धर्म से जुड़े ही सुने लेकिन धर्म ने कभी यह नहीं सिखाया कि वो गैर है , वह तुमसे भिन्न है, वह तुम्हारी नफ़रत के लायक है ।
प्रेम, शांति भाईचारा ही सीखा,,, जिस धर्म को भी पढ़ा ।

मेरे परिवार, नाम, रहन-सहन से, तुम मुझे किसी एक धर्म से जोड़ते हो,,, उस धर्म को मानता भी होगा मगर ,,,खुद को धार्मिक भावनाओं में जकड़ने नहीं देता,,,,,धर्म मानव को मानव बनाए रखने की भावना है ।
इन (धर्म) चीजों को कुछ असामाजिक तत्वों की भेंट ना चढ़ने दे ,,,, ये विविधता हमारी पहचान है इसे प्यार के साथ स्वीकार करें,,,, भिन्नता को नफ़रत का कारण ना बनाए ।।।सर्व धर्म जयते ।।।

Sunday, 5 August 2018

एल्बम : दिल के दीवार की

Picture background- राजस्थान के खजुराहो,,,किराड़ू मंदिर , बाड़मेर
Click by LAKHA RAM
नया सत्र शुरू हो चुका था । कक्षा में नये चेहरे आ रहे थे कई पुराने चेहरे गायब हो रहे थे । ऐसे ही माहौल में, वो लड़का ज्यों ही कक्षा में प्रवेशित हुआ, एक नये चेहरे से टकरा गया। जुबान से sorry व लबों से अनबनी मुस्कान के साथ अपनी-अपनी दिशा की ओर चलते बने ।
वो बैठने के बाद तब तक उस नये चेहरे को टकटकी लगाए देखता रहा जब तक कि मास्साब(अध्यापक) के चाॅक का टुकड़ा उसके 0.75 D वाले चश्मे से ना टकराया ।
"बेटा श्यामपट्ट इधर है ।"
ना, ना जी इश्क़-विश्क जैसा कुछ नहीं । पहली नज़र वाले प्यार की थ्योरी उसे वैसे भी समझ ना आती, ना ही वो चेहरे से मोहब्बत करने वालों में से हैं ।
उसे तो ऐसे ही नये चेहरों को गौर से देखने की अज़ीब सी आदत है लेकिन आज उसकी नजरें उस चेहरे पर कुछ ज्यादा ही स्थिर हो गई ।
उसकी नजरों को उस चेहरे की तलब बढ़ती गई ।
लंच के लिए ब्रेक हो चुका था मगर वो वहीं बैठा रहा ,,,मोहतरमा जो वहाँ थी ।
शायद आँखों की प्यास ने पेट की आग को बुझा दिया था।
एक दोस्त ने उससे मिलवा भी दिया ।
उसने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा "आई एम जिज्ञासा "
नाइस नेम ,
उसने , अपना भी परिचय दिया ।
काफी कुछ दोस्त ने; लड़के को नये चेहरे के बारे में, नये चेहरे को उस लड़के के बारे में बताया लेकिन,, वो बस उसे देखता रहा ।
बाय ! कह कर, दोनों चल दिये ।

वह काफी देर वहाँ खड़ा रहा ,,,,, वह चाहता था कि किसी दिन उसे गिटार बजाकर सुनाए और देर तक सुनाए,,, चाहे तो अकेले नहीं तो सरेआम सुनाए,,,।
उसे फर्क नहीं पड़ता कि गिटार के रोमांटिक गाने की धुन पर वो किसी और के ख्वाब बुने , उसे फर्क नहीं पड़ता कि वो गिटार सुनते सुनते किसी और के कंधे पर सो जाए।
वो तो बस यूँ ही ना बुझने वाली प्यास के साथ उसे निहारना चाहता था ताकि उस चेहरे के बहुत से चित्रों की एल्बम बनाकर अपने दिल की दीवार पर लटका सके ।
छगन चहेता ©
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डायरी : 2 October 2020

कुछ समय से मुलाकातें टलती रही या टाल दी गई लेकिन कल फोन आया तो यूँ ही मैं निकल गया मिलने। किसी चीज़ को जीने में मजा तब आता है जब उसको पाने ...